लखनऊ |
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार को शुक्रवार को हाई कोर्ट से तगड़ा झटका लगा। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के उस आदेश को निरस्त कर दिया जिसके तहत शिया वक्फ बोर्ड के 6 सदस्यों को हटा दिया गया था। जस्टिस रंजन रॉय और जस्टिस एसएन अग्निहोत्री की वकेशन बेंच ने कहा कि हटाए गए सदस्यों को पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया, जोकि वक्फ ऐक्ट 1995 के तहत अनिवार्य है। हालांकि कोर्ट ने सरकार को यह छूट दी है कि वह कानून के मुताबिक नए सिरे से कार्रवाई कर सकती है।
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने 16 जून को 6 सदस्यों को यह कहकर हटा दिया था कि ये वक्फ बोर्ड की संपत्ति को लेकर हुए भ्रष्टाचार में शामिल थे। हटाए गए सदस्यों में पूर्व राज्यसभा सांसद अख्तर हसन रिजवी, मुजफ्फरनगर की अफशा जैदी, मुरादाबाद के सैय्यद वली हैदर, बरेली के सय्यद अजीम हुसैन, विशेष सचिव नजमुल हसन रिजवी और आलिमा जैदी शामिल हैं। आलिमा जैदी ने सरकार के फैसले को कोर्ट में चुनौती दी थी।
इन सभी सदस्यों को समाजवादी पार्टी की पिछली सरकार ने नामांकित किया था। 15 जून को राज्य सरकार ने शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड को भंग करने का आदेश देने के साथ ही सीबीआई जांच की सिफारिश की है।