*हार्दिक ने नहीं मानी हार, हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती*
*नई दिल्ली* कांग्रेस में शामिल हुए पाटीदार युवा नेता हार्दिक पटेल विसगपुर में हुए दंगा मामले में सोमवार को हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उनकी याचिका की तत्काल सुनवाई नहीं हो सकेगी। उनके वकील लोकसभा चुनाव लड़ने के रास्ते में आने वाले उच्च न्यायालय के 29 मार्च के आदेश की प्रतीक्षा करेंगे।
बता दें कि हार्दिक पटेल ने कांग्रेस का दामन थामते ही लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारियां शुरु कर दी थी। नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख 4 अप्रैल है। गुजरात में 26 लोकसभा सीटों के लिए 23 अप्रैल को चुनाव कराया जाएगा।
मेहसाणा जिले के विसनगर के सत्र न्यायालय ने पाटीदार कोटे की हलचल के दौरान 2015 में विसनगर शहर में पटेल आरक्षण के दौरान हुए उग्र दंगे और आगजनी के लिए आरोपी मानते हुए हार्दिक को दो साल की सजा सुनाई थी।
इसी मामले में हार्दिक पटेल ने उच्च न्यायालय में सजा खत्म करने को लकेर याचिका दाखिल की थी, लेकिन कोर्ट ने कड़ा संज्ञान लेते हुए उनकी इस याचिका को खारिज कर दिया था। जिसमें मेहसाणा में 2015 के एक दंगा मामले में उनकी सजा को खतनिलंबित करने की मांग की गई थी। जनप्रतिनिधि अधिनियम, 1951 के अनुसार, हार्दिक पटेल अपनी सजा के कारण आगामी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।
कोर्ट ने कांग्रेस के युवा नेता हार्दिक पटेल को कोर्ट से करारा झटका लगा था, उनके चुनाव लड़ने की तैयारी सिमटकर रह गई थी, पाटीदार नेता हार्दिक पटेल के लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारियों को हाईकोर्ट ने तगड़ा झटका दिया है। बार-बार कानून को धता बताने वाले हार्दिक लॉ मेकर कैसे बन सकते हैं।
हार्दिक महिलाओं का सम्मान नहीं करते और उनकी आपराधिक छवि को देखते हुए चुनाव लड़ने की परमिशन नहीं देना चाहिए। गुजरात सरकार के महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी की इन्हीं दलीलों को रखते हुए न्यायाधीश एजी उरेजी ने हार्दिक की याचिका को खारिज करने का फैसला किया था।