नई दिल्ली |
मोदी सरकार ने अपने बाबुओं की प्रमोशन पॉलिसी में आमूलचूल परिवर्तन किया है। सरकार अब सिर्फ ऐनुअल कॉन्फिडेंशल रिपोर्ट के आधार पर ही नौकरशाहों को प्रमोशन नहीं दे रही, बल्कि ईमानदारी, निष्ठा और कठिन परिश्रम की क्षमता को तवज्जो दिया जा रहा है। सीनियर अफसरों ने ईटी को बताया कि पहली बार अधिकारियों को सेक्रटरी या अडिशनल सेक्रटरी अथवा अन्य किसी वरिष्ठ पद पर प्रमोट करने से पहले इन कसौटियों पर कसा जा रहा है। अधिकारी इसे केंद्र सरकार के स्तर पर प्रशासनिक सुधार की दिशा में सबसे महत्वपूर्ण बता रहे हैं।
साल 2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने पांच सेवानिवृत्त सचिवों का चुनाव किया और नौकरशाहों के प्रदर्शन के आकलन के लिए नेतृत्व, वक्त पर बेहतरीन प्रदर्शन, काम की समझ और प्रशासकीय कौशल समेत सात कसौटियों पर कसने की नीति बनी। नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर एक अधिकारी ने कहा, ‘इसलिए किसी नौकरशाह की निष्ठा, उनके प्रति सामान्य धारणा कि वो घूस या कमिशन के लालच में नहीं आते, किसी कॉर्पोरेट ग्रुप्स के या अपने हित में प्रशासकीय प्रक्रियाओं में तोड़-मरोड़ नहीं करते आदि को सबसे गंभीरता से लिया जा रहा है।’ नौकरशाहों के कामकाज के आकलन की नई व्यवस्था कई तरह के विश्लेषण और शोध (ऐनालिसिस ऐंड रिसर्च) पर आधारित है।