नई दिल्ली |
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा लालू प्रसाद यादव के परिवार पर मारे गए छापों के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने गंभीर संकट खड़ा हो गया है। इसके चलते बिहार की सियासत नीतीश की सरकार गिरने और राष्ट्रपति शासन की तरफ बढ़ रही है। हालांकि पूरे संकट से निपटने के लिए नीतीश कुमार ने मंगलवार को पार्टी की बैठक बुलाई है लेकिन उनके लिए इस चक्रव्यू से निकलना इतना आसान नहीं है।
नीतीश की है साफ सुथरी छवि
नीतीश कुमार की छवि एक साफ सुथरे मुख्यमंत्री की है और उनपर वित्तीय गड़बड़ी का आरोप नहीं है। उनकी यही साफ छवि उनकी पूंजी है। यदि नीतीश ने इस पूंजी को कायम रखना है तो उन्हें लालू के बेटों को कैबिनेट से हटाना होगा। पार्टी के भीतर और बाहर से उनपर ये भारी दबाव है। यदि नीतीश ऐसा करते हैं तो उसकी प्रतिक्रिया में लालू गठबंधन तोडऩे जैसा गंभीर कदम उठा सकते हैं। बिहार विधानसभा में लालू के पास 80 सीटें है जबकि नीतीश के पास 71 सीटें हैं लिहाजा बढी पार्टी होने के चलते लालू, नीतीश के आगे न झुके तो प्रदेश में संवैधानिक संकट खड़ा हो जाएगा।