नई दिल्ली |
सीबीआई और इडी द्वारा लालू प्रसाद यादव के परिवार पर मारे गए छापों के बाद पैदा हुई स्थिती से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अकेले परेशान नहीं है इस संकट ने कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी की भी रातों की नींद उड़ा दी है। कांग्रेस ने नीतीश और लालू के समर्थन से बड़ी मुश्किल के साथ बिहार विधानसभा में दहाई का आंकड़ा पार किया था लेकिन मौजूदा संकट के चलते कांग्रेस को उसका बड़ा सियासी नुक्सान होने का अंदेशा है।
कांग्रेस को 2005 के चुनाव में मिली थी 9 सीटें
भाजपा राजद और जदयू की इस जंग में कांग्रेस पीसती हुई नजर आ रही है। कांग्रेस को 2005 के चुनाव में 9 सीटें मिली थी जो 2010 में कम होकर 4 सीटों तक सिमट गई। 2015 के चुनाव में कांग्रेस ने जदयू और राजद के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा जिससे कांग्रेस को 27 सीटें हासिल हुई। इससे पहले कांग्रेस को संयुक्त बिहार के 1995 में हुए चुनाव के समय 29 सीटें हासिल हुई थी। इस लिहाज से कांग्रेस का ये 22 साल का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा है। पार्टी 2000 के चुनाव में 23 सीटें ही हासिल कर सकी थी। पार्टी की रणनीतिकारों को अब ये चिंता सताने लगी है कि यदि बिहार में गठबंधन टूटा तो कांग्रेस को सबसे ज्यादा नुक्सान होगा पार्टी को इस बात की भी चिंता है कि बिहार का ये संदेश 2019 तक पूरे देश में पहुंच जाएगा और पार्टी की अगले लोकसभा चुुनाव की तैयारियों को भी इसका झटका लगेगा।