अहमदाबाद।
अहमदाबाद को यूनेस्को ने विश्व की धरोहरों में शुमार किया है। अब यह शहर पेरिस, विएना, कैरो, ब्रुसेल्स, रोम व एडिनबर्ग की श्रेणी में शामिल हो गया है।
पोलेंड में हुई यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति की 41 वीं बैठक में यह फैसला शनिवार को हुआ। समिति ने माना कि ऐतिहासिक महत्व की जगहों के संरक्षण का काम यहां बेहतरीन है।
यूनेस्को ने पहली बार भारत के किसी शहर का चयन इस श्रेणी में किया है। माना जाता है कि दीवारों से घिरे इस शहर की खोज अहमद शाह ने लगभग छह सौ साल पहले की थी।
यहां पर 26 ऐसे ढांचे हैं, जिनका संरक्षण एएसआइ (पुरातत्व विभाग)कर रहा है। प्राचीन पद्धति से बने मकान व तंग गलियां शहर के प्राचीन होने का एहसास कराती हैं। महात्मा गांधी भी 1915 से 30 तक यहां रहे थे।
यह बात शहर को विशिष्टता का एहसास कराती है। जाने माने वास्तुविद एजीके मेनन का कहना है कि इससे भारत के और शहरों को भी प्रेरणा मिलेगी।
उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकार व प्रशासन तमगे को बोझ नहीं मानेगा। खास बात है कि दिल्ली भी यूनेस्को की सूची में शामिल होने के लिए रेस में शामिल था, लेकिन केंद्र सरकार ने आखिरी वक्त में अपने दावे को वापस ले लिया।
माना जा रहा था कि विश्व धरोहरों में शामिल होते ही शहरी विकास यहां ठप हो जाएगा। हुमायूं के मकबरे के साथ लाल किला व कुतुब मीनार के साथ दिल्ली का दावा बेहद सशक्त माना जा रहा था।
हेरीटेज सिटी में विकास कार्य ठप न हो इसके लिए सरकार ने नियमों में बदलाव कर दिए हैं, लेकिन फिर भी सरकार ने दिल्ली का नाम इस वजह से वापस लिया, क्योंकि यहां निर्माण कार्य रोकना मुश्किल है और ऐसी सूरत में यूनेस्को कभी भी तमगा वापस ले सकता है।