इंदौर।
यात्री और भारी वाहनों में रिमोल्ड टायर लगाने को लेकर परिवहन विभाग के नियमों में उलझन है। इसका फायदा वाहन मालिक जमकर उठा रहे हैं। यात्री के साथ स्कूल बसें भी रिमोल्ड टायर पर दौड़ रही हैं, जिससे बच्चों की जान खतरे में बनी रहती है। यही नहीं, रिमोल्ड टायर बनाने वाले व्यापारियों का महीने का 5 करोड़ से अधिक का टर्न ओवर है।
पिछले दिनों फिटनेस शाखा पहुंचे आरटीओ ने रिमोल्ड टायर लगे वाहनों को अनफिट करार देते हुए लौटा दिया था। इसके बाद नईदुनिया ने इसकी पड़ताल की तो पता चला कि रिमोल्ड टायरों को लेकर परिवहन एक्ट में नियम स्पष्ट नहीं हैं, जिसका फायदा वाहन मालिक उठा रहे हैं।
रिमोल्ड टायरों का सबसे ज्यादा इस्तेमाल सवारी वाहनों में हो रहा है। आंकड़े बताते हैं कि 70 से 80 रिमोल्डटायर रोज बिकते हैं। शहर में कई स्थानों पर रिमोल्ड टायर बनाने का काम किया जाता है। वाहन मालिक यहां पुराने टायरों पर रिमोल्ड कराने के लिए लाते हैं। कई तो पुराने टायरों के बदले 2 से तीन हजार रुपए देकर रिमोल्ड किया हुआ टायर खरीदते हैं, जिसे यात्री बसों में लगाकर चलाया जाता है। शहर में रिमोल्ड टायरों का कारोबार इतना बढ़ गया है कि विक्रेताओं ने यहां कारखाने लगा दिए।