नई दिल्ली |
सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को ऐक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड और गुजरात सरकार के वकील के बीच तीखी बहस देखने को मिली। सरकारी वकील ने जहां उनपर एनजीओ के पैसे का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया, वहीं उन्होंने सरकार पर आरोप लगया कि उनकी गतिविधियों को शिथिल करने की कोशिश की जा रही है।
जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस ए.एम.खानविल्कर की पीठ तीस्ता की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस याचिका तीस्ता, उनके पति और उनके एनजीओ के बैंक खाते को फ्रीज करने से जुड़ी थी। अडिशनल सॉलिसिटर जनरल(एएसजी) तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि वह एनजीओ के धन का इस्तेमाल अपने व्यक्तिगत काम के लिए कर रही हैं। इसमें शराब का सेवन करना भी शामिल है।
गुजरात सरकार के तरफ से कोर्ट में दलील दे रहे मेहता ने बताया कि शराब पर खर्च ‘धर्मनिरपेक्ष शिक्षा’ की श्रेणी में बताकर किया गया और उन्होंने सीतलवाड को हिरासत में लेकर पूछताछ किए जाने की इजाजत मांगी। इधर, तीस्ता और उनके पति की तरफ से कोर्ट पहुंचे वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और वकील अपर्णा भट्ट ने पीठ को बताया कि ऐक्टविस्ट की छवि को खराब करने के लिए अनावश्यक रूप से शराब के सेवन का मुद्दा उठाया गया है।