अहमदाबाद |
दलित समुदाय के एक युवक की दो सप्ताह पहले न्यायिक हिरासत में मौत होने के मामले में पुलिस पर निष्पक्ष जांच नहीं करने का आरोप लगाते हुए अमरेली जिले के 200 दलितों ने बौद्ध धर्म अपनाने की धमकी दी है।
अमरेली उप-कारागार में बंद जिग्नेश सौंदरवा(29) की 15 जून को सदर अस्पताल में मौत हो गई थी। हालांकि अमरेली पुलिस ने जिग्नेश सौंदरवा की हत्या के आरोप में उप-कारागार के चार कैदियों को मंगलवार को हिरासत में लिया, लेकिन दलित समुदाय के सदस्यों के साथ-साथ पीड़ित के परिजनों ने जांच को लेकर नाराजगी जाहिर की और धर्म परिवर्तन के लिए फॉर्म लेने जिलाधिकारी कार्यालय पहुंच गए। पुलिस ने बताया कि अमरेली उप-कारागार में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं आने पर सौंदरवा को सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उसे राजुला तहसील के डुंगर गांव से गुजरात निषेध कानून के तहत गिरफ्तार कर 12 जून को न्यायिक हिरासत में भेजा गया था।
सौंदरवा के परिवार ने पहले शव लेने से इनकार करते हुए घटना की निष्पक्ष जांच कराए जाने की मांग की थी। एक दिन के प्रदर्शन के बाद पुलिस और जिला प्रशासन से निष्पक्ष जांच का आश्वासन मिलने के बाद उन्होंने शव ले लिया था।
पुलिस ने इस सिलसिले में कल जेल में बंद चार लोगों को गिरफ्तार किया। उन्होंने आपसी झगड़े के दौरान सौंदरवा को कथित रूप से गंभीर चोट पहुंचाई थी लेकिन युवक के परिजनों और स्थानीय दलित नेताओं ने पुलिस कार्रवाई पर असंतोष जताते हुए आरोप लगाया कि उसकी मौत पुलिस की पिटाई के कारण हुई है। दलित नेता नवचेतन परमार ने आरोप लगाया कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से पता चलता है कि जेल भेजे जाने से पहले सौंदरवा को तीन-चार दिन तक पीटा गया था। इसका मतलब है कि पुलिस हिरासत के दौरान उसे प्रताड़ित किया गया।