नई दिल्ली |
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार से कहा कि संसद को ऐसे कानून बनाने चाहिए, जिससे चुनाव आयुक्त की नियुक्ति में पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके। हालांकि, अदालत ने अभी तक नियुक्त हुए सभी इलेक्शन कमिश्नरों की तारीफ करते हुए उन्हें बेदाग भी करार दिया। कोर्ट ने केंद्र सरकार को याद दिलाया कि संविधान संसद से यह उम्मीद करता है कि इस दिशा में कानून बनाए जाएं, लेकिन ऐसा अभी तक नहीं किया गया है।
कोर्ट ने पूछा कि क्यों न उसे खुद दखल देते हुए चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर नियम बनाने चाहिए ताकि आयुक्तों की स्वायत्तता बरकरार रह सके? केंद्र सरकार ने इसका जवाब एक सवाल से दिया। केंद्र ने पूछा, ‘अगर संसद को लगता है कि कानून बनाने की जरूरत नहीं है तो क्या सुप्रीम कोर्ट को विधायिका में दखल देकर नियम बनाने चाहिए?’ कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले पर विस्तृत सुनवाई के बाद फैसला लेगा। अदालत अब इस मामले पर दो महीने बाद सुनवाई करेगी।
कोर्ट में इस मामले की सुनवाई जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच कर रही है। वह वर्तमान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जस्टिस खेहर के बाद पद संभालेंगे। खेहर अगस्त में रिटायर हो रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि वह इस बात को बेहद महत्वपूर्ण मानता है कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए नियम कायदे हों क्योंकि वे ‘निष्पक्ष चुनाव कराने में बेहद अहम भूमिका निभाते हैं।’ बता दें कि वर्तमान में प्रधानमंत्री और मंत्रियों की काउंसिल इलेक्शन कमिश्नर पर फैसला लेते हैं। उनकी सिफारिश पर राष्ट्रपति कमिश्नर की नियुक्ति करते हैं।