नई दिल्ली |
महिला और बाल विकास मंत्रालय के पास अब तक उस फंड से पैसे मिलने की उम्मीद में फॉर्म आ रहे हैं, जो फंड है ही नहीं। ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ के तहत
यूपी-उत्तराखंड से फॉर्म्स का आना अब भी जारी है। यूपी चुनाव के वक्त से आने शुरू हुए इस तरह के फॉर्म की संख्या अब 4 लाख को भी पार कर गई है। सीबीआई मामले की जांच से इनकार कर चुकी है और फर्जी फॉर्म मंत्रालय के लिए सरदर्द बने हुए हैं। फॉर्म में लोग जो पर्सनल जानकारी भरकर भेज रहे हैं, उसके मिसयूज का भी डर है।
फंड की आस में फॉर्म
यूपी, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब और बिहार से मंत्रालय के पास ऐसे फॉर्म पहुंच रहे थे, जिनमें लोग अपनी पूरी डिटेल भरकर दे रहे हैं और ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ स्कीम के तहत कुछ फंड मिलने की उम्मीद कर रहे हैं। मंत्रालय पिछले दो महीनों से अलग-अलग तरीके से कैंपेन चला कर लोगों को बता रहा है कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के तहत किसी तरह का फंड नहीं दिया जाता। साथ ही इस बारे में भी अवेयर किया जा रहा है कि जो कोई फॉर्म बेच रहा है या फॉर्म भरकर भेजने को कह रहा है, वह धोखा दे रहा है। जिन राज्यों से इस तरह के फॉर्म आ रहे हैं उन राज्यों में इस संबंध में कई एफआईआर भी दर्ज की गई हैं। मंत्रालय ने खुद यह मामला सीबीआई को भेजा हालांकि सीबीआई ने इस मामले में जांच से इनकार कर दिया क्योंकि इसमें पब्लिक फंड के मिसयूज की या किसी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ शिकायत नहीं थी। मंत्रालय के एक सीनियर अधिकारी के मुताबिक हमारे ऐक्टिव कैंपेन के बाद कुछ राज्यों से तो फॉर्म आना बंद हो गए हैं लेकिन अब भी यूपी और उत्तराखंड से ऐसे फॉर्म आ रहे हैं। हालांकि अब इनकी संख्या में कमी आई है।
‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ के फर्जी फॉर्म बने सरदर्द
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