पीलीभीत |
पीलीभीत टाइगर रिजर्व में इन दिनों एक विचित्र और भयावह प्रवृत्ति देखने को मिल रही है। प्रशासन को संदेह है कि स्थानीय परिवार अपने घर के बुजुर्गों को बाघों का शिकार बनाने के लिए जंगल में भेज रहे हैं। बाघों का शिकार होने के बाद इन मृतकों की बॉडी मैदान में मिलती है, जिसके कारण परिवार को लाखों में मुआवजा दिया जाता है। पिछले कुछ समय में बुजुर्गों पर हुए अटैक की घटनाओं में आई वृद्धि के कारण ऐसा संदेह हो रहा है।
टाइगर रिजर्व क्षेत्र में यदि किसी शख्स की मौत होती है तो प्रशासन की ओर से परिवार को किसी तरह का मुआवजा नहीं दिया जाता है। फरवरी 2016 से अब तक माला फॉरेस्ट रेंज में 7 ऐसी घटनाएं सामने आई हैं। केंद्र सरकार की एजेंसी वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो (WCCB) के अधिकारी कलीम अतहर ने अपनी रिपोर्ट में इसके संकेत दिए हैं।
हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत करते हुए अतहर ने कहा कि पीलीभीत टाइगर रिजर्व क्षेत्र के आसपास का जायजा लेने, अटैक के लोकेशन और हर केस को अलग से जांचने के बाद वह इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं। अतहर की रिपोर्ट डब्ल्यूसीसीबी को सौंप दी गई है। उन्होंने कहा, ‘ब्यूरो अधिकारियों ने फैसला लिया है कि इस रिपोर्ट को आगे राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के पास भेजा जाएगा।’