पटना।
बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार की कांग्रेस के प्रति नाराजगी रविवार को साफ दिखी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार का नाम तय करने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की ओर से 22 जून को बुलाई गई बैठक में वह जाने वाले थे। मगर दो दिन पूर्व इफ्तार पार्टी में कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने जो बयान दिया, उसके चलते वह नहीं गए।
उन्होंने कहा कि हम किसी के पिछलग्गू नहीं हैं। हमारा एक सिद्धांत है और उससे हम समझौता नहीं करते। नीतीश ने कहा कि उन्होंने विपक्षी एकता का दो बार प्रयास किया। उन्होंने उत्तर प्रदेश और असम में विपक्ष को एकजुट करना चाहा। लोग एक नहीं हो सके जिसके कारण भाजपा आई।
उन्होंने साफ कहा कि भाजपा के साथ जाने का उनका कोई इरादा नहीं है। पार्टी की राज्य कार्यकारिणी को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा- “मेरे बारे में कहा जा रहा है कि हम भाजपा के साथ जा रहे हैं। यह भी कहा जा रहा है कि हम किसी के दबाव में काम कर रहे हैं। ये सारी बातें बकवास हैं। मैं बिहार में ही राजनीति करूंगा, बिहार के विकास के लिए काम करूंगा।”
इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि आमंत्रण मिलने पर वह राजद की अगस्त में गांधी मैदान में होने वाली रैली में शामिल होंगे। उन्होंने अपनी पार्टी के नेताओं के उस बयान पर नाराजगी जताई, जिसमें कहा गया था कि वह इस रैली में शामिल नहीं होंगे।
पार्टी प्रवक्ताओं को नसीहत देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी माहौल ठीक नहीं है, गलती से भी कोई “लूज टॉक” न करें। गठबंधन धर्म का हम कल भी पालन करते थे और आज भी कर रहे हैं।