नई दिल्ली।
कहते हैं कि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। तकनीक के साथ भी यह बात लागू होती है। इंस्टेंट मैसेजिंग ऐप व्हाट्सएप ने जहां लोगों को तत्काल खोज-खबर और आपस में बातचीत का विकल्प दिया है। वहीं, अपराधियों के लिए भी यह वारदात को अंजाम देने में मददगार साबित हो रहा है। दरअसल, इसके जरिये वे गैंग के दूसरे सदस्यों के साथ संपर्क में रहने के अलावा चोरी किए गए सामान को ठिकाने लगाने की वर्चुअल मीटिंग भी करते थे।
कहां मिलना है, कितने बजे मिलना है, कार को कैसे अनलॉक करना है इसके बारे में वे व्हाट्सएप पर बातें करते थे। दरअसल, इसमें भेजे गए मैसेज को कोई तीसरा व्यक्ति हैक करके नहीं पढ़ सकता। लिहाजा वे इसका प्रयोग कर रहे थे। यह जानकारी दिल्ली पुलिस की गिरफ्त में आए तीन चोरों ने खुद बताई है। हाल ही में बच्चे को चोरी कर उसके व्हाट्सएप के जरिये बेचने का मामला भी सामने आया था।
कार चुराने में कुख्यात तीन बदमाशों रवि मदान, आजाद आलम और राजेश महतो को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उन्होंने पूछताछ में बताया कि अपनी बातों को सीक्रेट रखने के लिए वे व्हाट्सएप पर सारी बातें करते थे। इन चोरों ने बीते एक साल में करीब 500 कारें चुराईं और उन्हें उत्तर प्रदेश और दार्जलिंग में बेच दिया। तीनों बदमाशों को एसीपी तिलक नागर और आलाप पटेल की टीम ने विकासपुरी में गिरफ्तार कर लिया।
यह गैंग होंडा सिंटी और ह्यूंदै क्रेटा कारें पलक झपकते ही ले उड़ता था। कारें चुराने में उन्हें महज 15 मिनट का समय लगता था। पुलिस ने आरोपियों के पास के कुछ चाबियां, आधुनिक औजार और गैजट्स, 80 हजार रुपए कैश, एक होंडा सिटी और एक क्रेटा बरामद की है। पुलिस को उनके पास से पश्चिम बंगाल और हरियाणा के फर्जी हाई सिक्योरिटी नंबरप्लेट्स भी मिली हैं।
बताया जा रहा है कि गिरोह का सरगना 27 वर्षीय मदन है, जो साल 2011 से कारें चुरा रहा है। उसने बताया कि अभी तक वह 500 से ज्यादा कारें एनसीआर से चोरी कर चुका है। वह उत्तर प्रदेश के संभल में किसी अंसार और मेरठ के रहमान से जुड़ा हुआ है। गैंग के सदस्य कार चोरी करने के बाद उन्हें यूपी, बिहार और पूर्वोत्तर राज्यों में भेज देते थे।