भोपाल।
प्रदेश के 22 जिलों में कम बारिश के कारण खरीफ फसलों की बोवनी पिछड़ गई है। अभी तक 15 से 20 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में ही बोवनी की रिपोर्ट है। जबकि, इस बार 132 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलें लेने का लक्ष्य रखा गया है।
बताया जा रहा है कि शुरुआती दौर में मालवा क्षेत्र में अच्छी बारिश होने से पचास प्रतिशत सोयाबीन बोया जा चुका है पर महाकौशल क्षेत्र में गति बेहद धीमी है। मक्का की भी 15 से 20 प्रतिशत ही बोवनी हुई है। धान की बोवनी जुलाई अंत या फिर अगस्त के दूसरे सप्ताह से शुरू होगी। आगामी सोमवार को कृषि विभाग इसकी समीक्षा करेगा।
कृषि विभाग के अधिकारियों की मानें तो मानसून के बिदकने से खरीफ फसलों की बोवनी की गति में कमी आई है। 57 लाख हेक्टेयर जमीन पर सोयाबीन बोने का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन ये अभी मालवा क्षेत्र को छोड़कर बेहद कम है। अन्य फसलों के भी यही हाल हैं।
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अभी ज्यादातर उन्हीं किसानों ने बोवनी की है, जहां या तो अच्छी बारिश हो गई है या फिर जिनके पास स्वयं के सिंचाई के साधन हैं। बारिश पर निर्भर रहने वाले किसानों को बोवनी से पहले अच्छी बारिश का इंतजार करना चाहिए, क्योंकि पर्याप्त नमी होने पर ही बीज अंकुरित होगा।
तापमान में भी उतार-चढ़ाव चल रहा है, ये खरीफ फसलों के लिए ठीक नहीं है। कृषि संचालक मोहनलाल मीणा ने बताया कि मानसून के बीच में ब्रेक होने के कारण बोवनी प्रभावित हुई है। हालांकि, मौसम केंद्र का कहना है कि आने वाले दिनों में अच्छी बारिश होगी। किसानों को मौसम देखकर ही बोवनी करनी चाहिए।