नई दिल्ली |
पिछली यूपीए सरकार की तरफ से शुरू की गई महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के जरिये नरेंद्र मोदी सरकार को सब्सिडी मद में सबसे ज्यादा बचत हो रही है। मोदी सरकार ने आधार के इस्तेमाल और डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के इस्तेमाल के जरिये इस योजना के 1 करोड़ फर्जी लाभार्थियों को हटाकर इसे और बेहतर बनाया है।
मोदी सरकार ने दावा किया है कि उसने पिछले वित्त वर्ष में कई योजनाओं में डीबीटी के जरिये सब्सिडी मद में तकरीबन 20,000 करोड़ रुपये की बचत की। साथ ही, केंद्र सरकार ने 2014 से लेकर मार्च 2017 तक डीबीटी के जरिये कुल 57,029 करोड़ के बचत का आंकड़ा पेश किया है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले वित्त वर्ष में लीकेज को रोककर बचत के मामले में यूपीए की तरफ से शुरू की गई स्कीम मनरेगा टॉप पर रही। इससे पहले के वर्षों में सरकार को एलपीजी पहल स्कीम से सबसे ज्यादा बचत हुई। सरकार का दावा है कि उसने 2016-17 में मनरेगा के लिए डीबीटी भुगतान से 8,741 करो़ड़ रुपये की बचत की, जबकि पहल के जरिये बचत की राशि 8,185 करोड़ रुपये रही। एक सीनियर सरकारी अधिकारी ने बताया कि इसकी वजह मनरेगा खातों का रिकॉर्ड संख्या में आधार से लिंक कराया जाना है, जिससे एक करोड़ फर्जी जॉब कार्ड खत्म किए जा सके।