कोरबा।
एसईसीएल की घाटे में चल रही भूमिगत खदानों को बंद करने के निर्णय पर अंतत: अंतिम मुहर लग गई। बांकीमोंगरा खदान को अगले माह जुलाई में ही बंद कर दिया जाएगा। अगस्त में मीरा व बलरामपुर को बंद करने का आदेश जारी किया गया है। कुल 14 खदानों को चिंहाकित किया गया है। दो माह के अंदर छह खदान बंद कर दिए जाएंगे।
काफी समय से कोल इंडिया देश में भर चल रही घाटे की 270 कोयला खदानों को बंद करने के फिराक में थी। श्रमिक संगठनों के विरोध को देखते हुए निर्णय नहीं लिया जा सका था, पर आर्थिक संकट से उबरने अंतत: खदानों को बंद करने व आउटसोर्सिंग में दिए जाने का आदेश शनिवार को जारी कर दिया गया।
छह खदान हसदेव क्षेत्र की पालकीमारा, चिरमिरी की नार्थ चिरमिरी, जोहिला क्षेत्र की वीरसिंहपुर, कोरबा एरिया की बांकीमोंगरा 3-4 नंबर, जमुना कोतमा की मीरा व विश्रामपुर क्षेत्र की बलरामपुर माइंस को तत्काल प्रभाव से आने वाले दो माह के अंदर बंद किया जाना है।
इन खदानों में काम करने वाले 1983 कर्मचारी प्रभावित होंगे। कोल इंडिया का कहना है कि पिछले दो साल से ये खदान लगातार घाटे में चल रही। यानि कोयला उत्पादन से जो लाभ हो रहा है, उससे कहीं अधिक उत्पादन में लागत आ रही।
इसके लिए श्रमिक संगठन कोल इंडिया की नीति को ही जवाबदार मानते रहे हैं। यही वजह है कि अभी हाल ही में कोयला उद्योग में हड़ताल की घोषणा कर दी गई थी। समझौता वार्ता के दौरान कोल इंडिया व कोल मंत्रालय ने घाटे में चल रहे खदानों को श्रमिक संगठन के बाद ही बंद किए जाने का आश्वासन दिया था, पर बिना किसी बैठक व सहमति के ही आदेश जारी कर दिया गया।