बीजिंग |
मानसरोवर यात्रा पर एक बार फिर चीन अड़ंगा लगाता दिख रहा है। मीडिया के मुताबिक चीन लगातार इस मुद्दे पर भारत पर नजर बनाए हुए है।चीन का कहना है कि इस मुद्दे पर दोनों देशों के विदेश मंत्रियों में बात चल रही है। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही सिक्किम के नाथू-ला के पास पहुंचे मानसरोवर यात्रा के 2 जत्थों को चीन के बॉर्डर से वापस लौटा दिए जाने से राजधानी दिल्ली में ठहरे हुए तीसरे जत्थे के यात्रियों की चिंता बढ़ गई थी।
दिल्ली में मानसरोवर यात्रा के लिए जाने वाले लोगों के लिए ठहराने की व्यवस्था गुजराती समाज भवन में रहती है और यहां पर तीसरे जत्थे के तीर्थयात्री मैडीकल चेकअप के लिए आ चुके हैं। इन यात्रियों को मैडीकल चैकअप में फिटनैस मिलने के बाद 27 जून को नाथू-ला के लिए रवाना किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि असम में अरुणाचल प्रदेश को जोड़ने वाले ब्रह्मपुत्र नदी पर बने देश के सबसे लंबे पुल का प्रधानमंत्री मोदी ने उद्घाटन किया था। इस के बाद चीन के रवैये में बदलाव आया है। इसके बाद चीन ने नाथू-ला के जरिए मानसरोवर यात्रा के लिए पहले से तय 8 जत्थों की अनुमति को घटाकर महज 7 जत्थों तक सीमिति कर दी थी।
दिल्ली में तीर्थ यात्रा विकास समिति के चेयरमैन कमल बंसल का कहना है कि दोनों जत्थों में गए यात्रियों के रिश्तेदारों के फोन उनको लगातार आ रहे हैं और वो उनको सही-सही जवाब नहीं दे पा रहे हैं। उधर मानसरोवर यात्रा के लिए दिल्ली में ठहरे हुए तीसरे जत्थे के यात्रियों का कहना है कि यात्रा को लेकर उहापोह की स्थिति बनी हुई है। भारत सरकार को इस मसले पर जल्द ही पहल करनी चाहिए।