नई दिल्ली।
चीन ने अड़ियल रवैया अपनाते हुए नाथुला दर्रे से कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जा रहे 50 यात्रियों को रोक दिया है। इसके बाद विदेश मंत्रालय ने यात्रा रद्द करते हुए तीर्थ यात्रियों को वापस बुला लिया है।
जानकारी के मुताबिक यह फैसला चीन के अडि़यल रवैये को देखते हुए लिया गया है। कैलाश मानसरोवर यात्रा समिति के चेयरमैन कमल बंसल ने हमारे सहयोगी अखबार दैनिक जागरण की स्पेशल डेस्क से बात करते हुए इस बात की जानकारी दी है। उनके मुताबिक गैंगटोक से सभी यात्रियों को कल वापस दिल्ली आ जाएंगे।
आपको बता दें कि चीन ने नाथुला से कैलाश मानसरोवर जाने वाले यात्रियों के लिए अपने गेट नहीं खोले थे, जिसके बाद करीब 90 यात्रियों को वापस गैंगटोक बुला लिया गया था। कुछ मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इसका कारण तिब्बत में मानसरोवर की यात्रा के रास्ते में भूस्खलन का होना बताया जा रहा है।
इस मसले पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने चीन से बात भी की, लेकिन उसका कोई हल नहीं नहीं निकला। चीन के इस अडियल रवैये के बाद ही इस यात्रा को रद कर देने की भी जानकारी मिली है। इससे वहां जाने वाले यात्रियों में काफी निराशा है। इस बीच तीसरे जत्थे के तीर्थयात्रियों दिल्ली पहुंच चुके हैं। इनको मेडिकल चेकअप के बाद फिटनेस सर्टिफिकेट मिलने के बाद 27 जून को नाथूला भेजा जाना था।
कमल के मुताबिक नाथुला के रास्ते जाने वाले तीर्थयात्रियों में ज्यादातर वरिष्ठ नागरिक हैं। उनके मुताबिक नाथुला के रास्ते से कैलाश तक का रास्ता सड़क मार्ग से बसों के द्वारा पूरा किया जाता है। इसके बाद केवल लगभग कैलाश की 38 किमी की परिक्रमा ही शेष रह जाती है। उन्होंने यह भी बताया है कि नाथुला से वापस बुलाए गए तीर्थ यात्रियों को उत्तराखंड के रास्ते यात्रा पर भेजा जाना फिलहाल मुमकिन नहीं है क्योंकि यहां पर पहले से ही काफी वेटिंग चल रही है।
उनके मुताबिक दिल्ली से दो अलग-अलग दिन करीब 90 तीर्थ यात्रियों का जत्था नाथुला के रास्ते कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए भेजा गया था। 15 जून को भेजे गए पहले जत्थे में करीब 47 तीर्थ यात्री थे जो गैंगटोक के रास्ते नाथुला बॉर्डर पहुंचे थे। लेकिन दो दिन वहां पर रहने के बाद भी चीन की तरफ से बॉर्डर खोलने से साफ इंकार कर दिया गया। इसके बाद इसकी जानकारी भारतीय विदेश मंत्रालय को भी दी गई थी। एमईए ने इस संबंध में चीन के अधिकारियों से बात भी की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। इस बीच 20 जून को दिल्ली से इस यात्रा के लिए भेजा गया दूसरा जत्था भी वहां पहुंच गया, लेकिन चीन के साथ मामले को सुलझाया नहीं जा सका। लिहाजा सभी तीर्थ यात्रियों को वापस गैंगटोक लाया गया है।