नई दिल्ली |
गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) के तहत कम टैक्स से मिलने वाले फायदे ग्राहकों को नहीं देने वाले कारोबारियों को जुर्माने का सामना करना पड़ेगा और उनका लाइसेंस भी कैंसल हो सकता है। मंगलवार को जारी किए गए नए एंटी-प्रॉफिटिअरिंग रूल्स के तहत पांच सदस्यीय नैशनल एंटी-प्रॉफिटिअरिंग अथॉरिटी को कम टैक्स के जितनी कीमतों में कमी के लिए मजबूर करने की शक्ति दी गई है। किसी फर्म के ऐसा न करने पर उस पर पेनल्टी लगाई जा सकती है या उसका रजिस्ट्रेशन भी रद्द हो सकता है।
इस अथॉरिटी के प्रमुख सेक्रटरी लेवल के एक अधिकारी होंगे। इसके पास कम टैक्स का फायदा ग्राहकों को नहीं देने वाले किसी कारोबारी को इस वजह से मिलने वाले गैर-वाजिब मुनाफे को 18 पर्सेंट के इंट्रेस्ट के साथ लौटाने के लिए मजबूर करने की शक्ति होगी। अथॉरिटी ग्राहकों को कीमतों में कमी कर टैक्स का फायदा देने को तय करने के तरीके पर खुद फैसला करेगी।
लिखित में दी जाने वाली सभी शिकायतों पर विचार करने के लिए एंटी-प्रॉफिटिअरिंग पर एक नैशनल लेवल की स्टैंडिंग कमिटी होगी। इसके अलावा प्रत्येक राज्य स्थानीय समस्याओं की जांच के लिए एक स्क्रीनिंग कमिटी बनाएगा। शिकायत की शुरुआती जांच के लिए दो महीने की सीमा तय की गई है। स्क्रीनिंग कमिटी अपने निष्कर्ष स्टैंडिंग कमिटी को भेजेगी।