रायपुर।
पांच दिन के भीतर दो किसानों की खुदकुशी की इन घटनाओं के साथ ही छत्तीसगढ़ में किसानों के कर्ज का मुद्दा अब सुलगने लगा है। सरकारी दावों के विपरीत राज्य के छोटे और सीमांत किसान कर्ज के बोझ तले दबे पड़े हैं। किसान नेताओं का कहना है कि सरकारी योजनाओं का लाभ सभी किसानों को नहीं मिलता। ऐसे में उन्हें बाजार, परिचितों या साहूकारों से कर्ज लेना पड़ता है। यही कर्ज उन पर भारी पड़ रहा है। इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो खुदकुशी के आंकड़े बढ़ते जाएंगे।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार राज्य में 37.46 लाख किसान हैं। इनमें 76 फीसदी लघु व सीमांत श्रेणी में आते हैं। नाबार्ड में पंजीकृत किसानों की संख्या 10 लाख 50 हजार है। मापदंडों के अनुसार केवल इन्हीं किसानों को शून्य फीसदी ब्याज पर कृषि ऋण मिल पाता है। यानी करीब 27 लाख किसान सरकारी ऋण योजना के दायरे से बाहर हैं। ऐसे किसान खुले बाजार या दूसरों से कर्ज लेते हैं।