इस्लामाबाद |
पाकिस्तान हिंदू काउंसिल ने नाबालिग हिंदू लड़कियों के अपहरण, जबरन धर्मांतरण और जबर्दस्ती शादी करवाए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की है। काउंसिल ने कोर्ट से इस मामले में स्वत: संज्ञान लेने का आग्रह किया है। मालूम हो कि सिंध प्रांत में हिंदू लड़कियों को किडनैप कर जबरन उनकी शादी मुसलमानों के साथ कराए जाने की घटनाएं आए दिन होती रहती हैं।
इससे पहले पाकिस्तान के ही थारपारकर जिले में रहने वाले एक हिंदू परिवार ने आरोप लगाया था कि उनकी 16 साल की बेटी राविता मेघवाड़ का अपहरण कर पहले उसका जबरन धर्मांतरण कराया गया और फिर उसकी शादी दोगुनी उम्र के एक मुस्लिम शख्स से कर दी गई। इस घटना को 15 दिन से ज्यादा हो चुके हैं, लेकिन अभी भी पुलिस अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर पाई है। पाकिस्तानी मीडिया ने भी इस केस को बढ़-चढ़कर जगह दी। रविवार को हिंदू काउंसिल ने इसी मुद्दे पर चर्चा करने के लिए एक बैठक बुलाई। ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की एक खबर के मुताबिक, काउंसिल ने एक बयान जारी कर कहा, ‘जिस इलाके से राविता का अपहरण हुआ, वहां स्थिति काफी गंभीर बनी हुई है। खबर है कि पीड़ित परिवार को उनका घर छोड़ने के लिए मजबूर किया गया।’ काउंसिल के प्रमुख वंकवानी ने राविता को आजाद कराए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि किसी भी सभ्य समाज में इस तरह की घटनाओं को सामाजिक अपराध माना जाएगा, लेकिन सिंध में नफरत उगलने वाली ताकतें इसे मजहब की आड़ में अच्छे काम की तरह पेश कर रही हैं।
वंकवानी ने कहा कि अगर कोई शख्स अपनी मर्जी से इस्लाम कबूल करता है, तो इस तरह के धर्मांतरण का हिंदू काउंसिल विरोध नहीं करती है। उन्होंने आगे कहा, ‘सिंध के हालात बिल्कुल अलग हैं। यहां फोकस हिंदू लड़कियों का अपहरण करके उनका धर्मपरिवर्तन करना है, ताकि बिना उनकी मर्जी के जबरन उनसे शादी की जा सके।’ पाकिस्तानी सांसदों ने जबरन धर्मांतरण के खिलाफ कानून नहीं बनाने को लेकर सिंध सरकार की आलोचना की। लोगों का मानना है कि जबरन धर्मांतरण को गैरकानूनी बनाए जाने से धार्मिक अल्पसंख्यकों को थोड़ी राहत मिल सकती है। पिछले साल सिंध विधानसभा ने इस बिल को एकमत से पास कर दिया था, लेकिन गर्वनर ने इसपर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। उनके हस्ताक्षर के बाद ही यह बिल आधिकारिक कानून की शक्ल ले सकता है। गर्वनर ने बिल को वापस विधानसभा के पास भेजकर उनसे दोबारा इसपर विचार करने को कहा।