नई दिल्ली |
उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति को रेप के एक मामले में मिली जमानत ने विवाद पैदा कर दिया था। अब एक जांच में सामने आया है कि प्रजापति को साजिश रचकर जमानत दी गई थी, जिसमें एक वरिष्ठ जज भी शामिल थे। प्रजापति को जमानत देने के लिए 10 करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ था। यह चौंकाने वाला खुलासा इलाहाबाद हाई कोर्ट की एक जांच में हुआ है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस दिलीप बी भोसले ने प्रजापति को जमानत मिलने की जांच के आदेश दिए थे। इस जांच में संवेदनशील मामलों की सुनवाई करने वाली अदालतों में जजों की पोस्टिंग में हाई लेवल करप्शन की बात सामने आई है। इस तरह की अदालतें रेप और हत्या जैसे जघन्य अपराधों के मामलों की सुनाई करती हैं।
अपनी रिपोर्ट में जस्टिस भोसले ने कहा कि अतिरिक्त जिला और सेसन जज ओपी मिश्रा को 7 अप्रैल को उनके रिटायर होने से ठीक तीन सप्ताह पहले ही पोक्सो (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस) जज के रूप में तैनात किया गया था। जज ओपी मिश्रा ने ही गायत्री प्रजापति को 25 अप्रैल को रेप के मामले में जमानत दी थी। ओपी मिश्रा की नियुक्ति नियमों की अनदेखी करते हुए और अपने काम को बीते एक साल से ‘उचित रूप से करने वाले’ एक जज को हटाकर हुई थी।