इंदौर।
आजादी मिले 70 साल होने को आए लेकिन देश में किसानों के लिए अब तक कोई पुख्ता सिस्टम विकसित नहीं हो पाया है। केंद्र से लेकर राज्य तक किसानों के लिए योजनाओं की कमी नहीं है लेकिन इनकी जानकारी और सीधा लाभ किसानों तक आसानी से नहीं पहुंच पाता।
ग्रेडिंग की व्यवस्था नहीं
फसल के दाम तय होने में उसकी गुणवत्ता अहम मुद्दा होती है। मंडी या बाजार से व्यापारी कम दाम पर अनाज खरीदता है इसकी ग्रेडिंग करता है और क्वालिटी का माल बना कर उसकी पैकिंग करता है और ऊंचे दाम पर बेच देता है। एक क्विंटल फसल की ग्रेडिंग का खर्च सिर्फ 100 रुपए आता है। किसान अगर यह कर ले तो उसकी फसल का भाव 200 से 300 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ सकता है। लेकिन ग्रेडिंग करने वाली मशीनों का खर्च किसानों के बस की बात नहीं है।
जानकारी का सिस्टम नहीं
हाल ही में मालवा में बारिश हुई और किसानों ने सोयाबीन की बोवनी कर दी। लेकिन अब आसमान से बादल गायब हैं और किसान भगवान भरोसे। यदि किसानों को मौसम की सटीक जानकारी दी जाती तो वह इस संकट से बच सकते थे। लेकिन अब तक हमारे पास मानसून की सूचना साझा करने वाला मजबूत सिस्टम नहीं है ।