श्रीनगर |
जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने घाटी में हिंसा और अशांति के हालातों के बीच बातचीत की वकालत की। मुफ्ती ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा में दिए एक बयान में कहा कि सीमा पर हमारे सैनिक मर रहे हैं। बंदूक और फौजी ताकतें किसी समस्या का हल नहीं हो सकता। बातचीत से ही मुद्दे सुलझाए जा सकते हैं।
जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री ने कहा, ‘हम जानते हैं कि सीमा पर लड़ रहे हमारे जवान रोज शहीद हो रहे हैं। घाटी में इस वक्त हिंसा के हालात हैं। यह भी सच है कि आतंकी घटनाओं और हिंसा के रास्ते कभी भी मसले नहीं सुलझाए जा सकते। मुद्दों पर बातचीत के जरिए ही समाधान निकाला जा सकता है।’ वहीं, नैशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस शहीदों का अपमान करने का आरोप राज्य सरकार पर लगा रही है।
महबूबा ने कहा, ’65 की जंग हुई, 71 की जंग हुई, क्या हासिल हुआ? जंग में दोनों तरफ के गरीब लोग ही मारे जाते हैं। जब तक एक साथ बैठेंगे नहीं, मुद्दों पर बात नहीं करेंगें तब तक मसले नहीं सुलझाए जा सकते। बहुत लोग कहते हैं कि स्टेट टेररिज्म हैं। ऐसा तब होता था जब गांव में एनकाउंटर होता था तो पूरे के पूरे गांव खाली हो जाते थे। लोग डरकर भाग जाते थे।’ उन्होंने कहा कि आज एनकाउंटर होते हैं तो 12 साल के जवान 14 साल के लड़के एनकाउंटर करने वालों पर पत्थर फेंकने लगते हैं।
बता दें कि मुफ्ती का बयान ऐसे वक्त में सामने आया है जब शुक्रवार को ही सुरक्षा बलों ने इनामी आतंकी जुनैद मट्टू को मार गिराया। अनंतनाग में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने पुलिस की एक जीप पर हमला बोल दिया जिसमें 6 जवान शहीद हो गए। वहीं, शनिवार को भी बौखलाए आतंकी संगठनों ने बिहजबेड़ा के सीआरपीएफ कैंप में आतंकी हमला कर दिया। ऐसे वक्त में जब कश्मीर में सीमा पार से लगातार आतंकी वारदातों को अंजाम दिया जा रहा है मुफ्ती की बातचीत वाले बयान पर विवाद हो सकता है।