नई दिल्ली |
देश के सबसे वजनी रॉकेट GSLV Mk III के ऐतिहासिक लॉन्च के बाद इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) एक ऐसा सेमी-क्रायोजेनिक इंजन विकसित कर रहा है, जिसमें ईंधन के तौर पर केरोसीन का इस्तेमाल किया जाएगा। अन्य पारंपरिक ईंधनों के मुकाबले केरोसीन को इको-फ्रेंडली माना जाता है। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, अगर सब कुछ योजना के मुताबिक रहा तो इसरो इस सेमी-क्रायोजेनिक इंजन का फ्लाइट टेस्ट 2021 में करेगा।
रॉकेट लॉन्च के दौरान इस सेमी-क्रायोजेनिक इंजन के इस्तेमाल का एक फायदा यह है कि यह रिफाइंड केरोसीन का इस्तेमाल करता है, जो लिक्विड फ्यूल के मुकाबले हल्का होता है। इसे सामान्य तापमान पर स्टोर करके रखा जा सकता है। वर्तमान में इस्तेमाल होने वाले लिक्विड ऑक्सीजन और लिक्विड हाइड्रोजन के मिश्रण का वजन केरोसीन से ज्यादा होता है और इसे शून्य से नीचे माइनस 253 डिग्री तापमान पर स्टोर करके रखना पड़ता है।