लंदन |
क्या भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या को वापस भारत प्रत्यर्पित कर दिया जाएगा? यह फैसला करने के लिए हुई अदालती सुनवाई में माल्या को 4 दिसंबर तक जमानत मिल गई और आशंका है कि अगले साल तक भी उनका प्रत्यर्पण नहीं हो सके। वेस्टमिंस्टर मैजिस्ट्रेट कोर्ट की चीफ मैजिस्ट्रेट एमा अर्बथनट को जब यह पता चला कि भारत सरकार की ओर से साक्ष्य मुहैया कराए जाने में देरी हो रही है, तो उन्होंने मामले पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद 6 जुलाई तय कर दी।
भारत की ओर से ऐरन वाटकिंस ने यह कहते हुए अपना पक्ष रखा कि क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (सीपीएस) को भारत से बाकी साक्ष्य पाने और इनकी समीक्षा करने के लिए और तीन से चार सप्ताह चाहिए। इस पर चीफ मैजिस्ट्रेट अर्बथनॉट ने पूछा, ‘क्या भारतीय प्रतिक्रिया देने में सामान्यतया फुरतीले होते हैं? उन्होंने अब तक छह महीने बिता दिए और पिछले छह सप्ताह से हमें आगे कुछ भी नहीं दिया गया है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘अगर अब भी साक्ष्य मिलने की कोई उम्मीद नहीं है तो अप्रैल 2018 में (पूरी सुनवाई की) संभावना है। अगर हमारे पास सबकुछ होगा तो यह (आखिरी सुनवाई) दिसंबर में हो सकती है।’
वाटकिंस ने कहा कि इस केस को लेकर भारत के साथ बहुत करीबी से काम हो रहा है और प्राप्त सबूत ‘अव्यावहारिक नहीं’ हैं। कोर्ट ने माल्या को 6 दिसंबर तक सशर्त जमानत देते हुए 6 जुलाई को अगली सुनवाई की तारीख तय कर दी। उस दिन भी मंगलवार की ही तरह सुनवाई होगी और तब कोर्ट देखेगा कि सारे साक्ष्य मिल चुके हैं या नहीं। माल्या को कहा गया है कि उन्हें 6 जुलाई की सुनवाई के दौरान मौजूद रहने की जरूरत नहीं है।