नई दिल्ली |
जीएसटी को लेकर भले ही कहा जा रहा हो कि इससे कारोबारियों को तमाम तरह के टैक्सों से मुक्ति मिल जाएगी, लेकिन इंडियास्पेंड के विश्लेषण के मुताबिक ऐसा नहीं होगा। इंडियास्पेंड का कहना है कि जीएसटी लागू होने पर छोटे पैमाने पर कारोबार करने वाली एक ही राज्य तक मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को कम से कम 37 रिटर्न भरने पड़ सकते हैं। फिलहाल इसके कैटिगिरी के कारोबारियों को 13 रिटर्न ही भरने होते हैं। इससे अकाउंटेंट्स और बैंकिंग इंडस्ट्री के काम में इजाफा हो जाएगा।
जीएसटी लागू होने की डेडलाइन में अब एक महीने से भी कम का वक्त बचा है, लेकिन फाइनैंस प्रफेशनल्स, बैंकों और इंडस्ट्री की इस चुनौती से निपटने की तैयारियां पर्याप्त नहीं दिख रहीं। हालांकि पूरे देश में एक टैक्स की व्यवस्था पर 13 वर्षों से काम चल रहा है। इंस्टिट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया के पूर्व प्रेजिडेंट के. रघु का कहना है कि जीएसटी को स्वीकार करने के लिए पूरे ईकोसिस्टम में ही बदलाव किए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि तैयारियों को देखते हुए जीएसटी लागू करने की तारीख 1 सितंबर होनी चाहिए।
भारतीय बैंक असोसिएशन ने संसदीय पैनल को इस बारे में बताया है कि जीएसटी लागू करने को लेकर उसके सदस्य अभी पूरी तरह से तैयार नहीं हैं। इकनॉमिक टाइम्स की 5 जून की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘अब हर चीज ऑनलाइन होगी और सबकुछ नियमित अपडेट करना होगा। हर राज्य में एक कारोबारी को सालाना 37 रिटर्न (हर महीने 3 रिटर्न और एक सालाना रिटर्न) भरने होंगे। यही नहीं यदि कंपनी एक से अधिक राज्य में कारोबार करती है तो रिटर्न्स की संख्या और अधिक हो सकती है। तीन राज्यों में दफ्तर संचालित करने वाली कंपनी को साल में 111 रिटर्न तक भरने पड़ सकते हैं।’
केंद्र सरकार ने जीएसटी के तहत 5, 12, 18 और 28 फीसदी की 4 दरें तय की हैं। ऐसे में इंडस्ट्री को सिस्टम अपग्रेड करने, मैनपावर ट्रेनिंग और नए टैक्सों को समझने के लिए नई चुनौतियों का सामना करना होगा। यही नहीं पूर्व अदा किए गए टैक्स पर लाभ हासिल करने के लिए सारी सेल और परचेज का हिसाब ऑनलाइन रखना होगा।