तेहरान |
ईरान में भारत के रणनीतिक रूप से महत्व रखने वाले प्रोजैक्ट को विकसित करने में अमरीका रोड़ा बन रहा है। रणनीतिक महत्वाकांक्षाओं को अमरीका की वजह से झटका लग सकता है। ईरान में चाबहार पोर्ट को विकसित करने में लगे भारत को पश्चिमी देशों के मैन्युफैक्चरर्स निर्माण सामग्री मुहैया कराने से हिचकिचाने लगे हैं।
पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ईरान दौरे के समय भारत और ईरान के बीच चाबहार समझौता हुआ था। चाबहार के जरिए अफगानिस्तान पहुंचने के लिए भारत को पाकिस्तान के सहारे की जरूरत नहीं रह जाएगी। ईरान में चाबहार बंदरगाह को विकसित करने में लगे भारत को पश्चिमी देशों की कंपनियां निर्माण सामग्री मुहैया कराने से हिचक रही हैं। उन्हें डर सता रहा है कि ट्रंप प्रशासन फिर से ईरान पर प्रतिबंध लगा सकता है, ऐसे में निवेश करना उनके लिए जोखिम भरा हो सकता है।
2015 में अमरीका के ईरान पर प्रतिबंध हटाने के बाद भारत ने 2016 में इस पोर्ट के विकास के लिए 50 करोड़ डॉलर खर्च करने की बात कही थी, लेकिन चाबहार पोर्ट को विकसित करने वाली भारतीय फर्म अभी तक एक भी टेंडर आबटित नहीं कर पाई है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान पर मध्य पूर्व देशों के लिए बड़ा खतरा होने का आरोप लगाया है। उन्होंने फरवरी में मिसाइल परीक्षणों को लेकर ईरान पर नए प्रतिबंध भी लगा दिए थे। चर्चा है कि अमरीका ईरान पर नए प्रतिबंध लगा सकता है। ऐसे कई कंपनियां चाबहार पोर्ट से जुड़े निर्माण कार्य के टैंडर में बोली लगाने से फिलहाल बच रही हैं।