जालंधर |
पंजाब और गोवा में विधानसभा चुनावों में मात खाने के बाद और दिल्ली एम.सी.डी. चुनावों में हारने के बाद ‘आप’ विरोधियों को लगता था कि पार्टी की हवा निकल जाएगी पर पार्टी लगातार अपने विस्तार की योजनाओं में जुटी हुई है और हार मानती दिखाई नहीं दे रही। पार्टी सूत्रों की जानकारी के अनुसार पार्टी आने वाले समय में राजस्थान और मध्यप्रदेश में चुनाव लडऩे की रणनीति बनाने में जुटी हुई है। पार्टी ने इसी वर्ष गुजरात में होने वाले वि.स. चुनावों में भी सभी 192 सीटों पर चुनाव लडऩे की घोषणा कर दी है।
‘आप’ की सियासी नीतियों बारे पार्टी के एक सी. नेता का कहना है कि हम ऐसे राज्यों की सूची तैयार कर रहे हैं जहां राजनीति के मैदान में मुख्य तौर पर चुनावों में 2 से ज्यादा दल ना हों। उन्होंने कहा कि जहां 2 दल मुख्य रूप से चुनाव मैदान में होंगे वहां तीसरी पार्टी के लिए जगह बन सकती है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में तो पहले ही 5-5 दल मैदान में हैं वहां ‘आप’ के लिए आधार बना पाना कठिन होगा। उन्होंने कहा कि गुजरात के संबंध में पार्टी जल्द ही किसी फाइनल नतीजे पर पहुंचेगी। पार्टी हिमाचल में फिलहाल चुनाव लडऩे के मूड में दिखाई नहीं दे रही क्योंकि वहां जमीनी स्तर पर पार्टी काफी कमजोर है।
पार्टी नेताओं का कहना है कि पार्टी के विस्तार के प्लान के बारे अंतिम निर्णय पार्टी की पॉलीटिकल अफेयर कमेटी ही करेगी फिलहाल हमारा सारा ध्यान दिल्ली पर है, जहां पर कई ऐसे इलाके हैं जहां उनकी उपस्थिति बहुत मजबूती वाली हो सकती है। उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश के 50 जिलों में से 27 जिलों में ‘आप’ की बैठकें बेहद प्रभावशाली रही हैं और वहां बेहद शानदार प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है। पार्टी सूत्रों का मानना है कि जो मुख्य समस्या पार्टी के सामने इस समय है वह आॢथक समस्या है। दिल्ली और पंजाब के चुनावों में प्रचार में पार्टी के खजाना सूख चुका है। ‘आप’ की वैबसाइट से दानी सज्जनों की ओर से प्राप्त दान राशि बारे जानकारियां भी ‘आप’ की वैबसाइट से तकरीबन एक साल से गायब हैं। उनका कहना है कि हमारे विरोधी उन सभी दानी लोगों के पास जा रहे हैं जिन्होंने कभी पार्टी को कुछ भी डोनेट किया था जिससे ‘आप’ के लिए बड़ी परेशानी पैदा हो रही है, पर पार्टी सूत्र यह बताने से बचते दिखे कि दान की डिटेल सार्वजनिक क्यों नहीं की जा रही है।