जयपुर।
देश में पहली बार मां का दूध एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। राजस्थान के भीलवाड़ा से 150 किमी दूर अजमेर तक ग्रीन कॉरिडोर बनाकर 62 लीटर मां का दूध पहुंचाया गया।
आम तौर पर ग्रीन कॉरिडोर लिवर, किडनी जैसे अंग, प्रत्यारोपण के लिए भेजने के मकसद से बनाया जाता है, लेकिन भीलवाड़ा प्रशासन ने बुधवार इसका इस्तेमाल मां का दूध भेजने के लिए किया।
मां का दूध लेकर भीलवाड़ा से चली वैन ने 150 किमी की दूरी करीब दो घंटे में तय की। इस दौरान दूध खराब नहीं हो, इसके लिए वैन के भीतर का तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखा गया।
ट्रैफिक पुलिस थी तैनात दूध लेकर चली वैन को ट्रैफिक में कोई बाधा न हो, इसके लिए अधिक यातायात वाली जगहों पर ट्रैफिक पुलिस तैनात थी। टोल प्लाजा को भी पहले से सूचना दे दी गई थी।
वैन के साथ एक पुलिस वाहन भी चल रहा था। जीपीएस से निगरानी भीलवाड़ा के अतिरिक्त कलेक्टर आनंदीलाल वैष्णव ने बताया कि वैन पर भीलवाड़ा में जीपीएस तकनीक के जरिए पूरे समय निगरानी की गई।
उन्होंने बताया कि भीलवाड़ा में स्तनपान कराने वाली माताओं ने स्वेच्छा से 62 लीटर दूध दान किया था। इसलिए चुना अजमेर मां का दूध पहुंचाने के लिए अजमेर इसलिए चुना गया क्योंकि इस संभाग में एनएनआईसीयू में सबसे अधिक संख्या में नवजात भर्ती हैं।
अजमेर में शिशु मृृत्यु दर अधिक है और यह भीलवाड़ा के करीब भी है। अजमेर में मां के दूध का कोई बैंक नहीं है। बैंक में जमा मां का दूध इस्तेमाल करने से शिशु मृृत्यु दर को 22 प्रतिशत से घटाकर 16 प्रतिशत पर लाया जा सकता है।
राजस्थान सरकार की दूध बैंक परियोजना के राज्य सलाहकार देवेंद्र अग्रवाल ने बताया कि नवजात के लिए मां का दूध अमृृत है।
इसका दान उन माताओं के लिए भी वरदान है जो किन्हीं कारणों से अपने बच्चों को स्तनपान नहीं करा पाती हैं। राजस्थान में कार्यरत 11 दूध बैंकों को 3500 से अधिक माताओं ने दूध दान किया है।