सियोल |
आर्थिक बदहाली से कंगाल व परेशान उत्तर कोरिया ने धन जुटाने के लिए खतरनाक और आसान तरीका अपनाया है। देश की खुफिया एजेंसी आर.जी.बी. ने साइबर हमले के जरिए पैसा इकट्ठा करने के लिए यूनिट 180 नाम से शाखा बनाई है। इस यूनिट के तार वनाक्राई रैनसमवेयर साइबर हमले से भी जुड़े हैं। साइबर विशेषज्ञों की मानें तो रैनसमवेयर के जरिए हैकरों ने एक अरब डॉलर (करीब 65 हजार करोड़ रुपए) से ज्यादा की रकम हासिल की थी। उत्तर कोरिया ने हालांकि इन आरोपों से इंकार किया है। अधिकारियों और साइबर सुरक्षा से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तर कोरिया ने कई साइबर हमलों को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है।
उत्तर कोरियाई हैकर खासकर वित्तीय संस्थानों को निशाना बनाते हैं। अमरीका, दक्षिण कोरिया समेत दर्जनभर से ज्यादा देशों में हुए हमले में इनका नाम आ चुका है। विशेषज्ञों ने बताया कि वनाक्राई रैनसमवेयर साइबर हमले में उत्तर कोरियाई हैकरों की संलिप्तता के पुख्ता तकनीकी सुबूत मिले हैं। इस हमले से भारत समेत दुनियाभर के 150 देशों के तीन लाख से ज्यादा कंप्यूटर प्रभावित हुए थे। लजारुस नामक हैकर ग्रुप से भी इसके तार जुड़े हैं।
इस समूह का नाम बांग्लादेश के सैंट्रल बैंक और वर्ष 2014 में सोनी के हॉलीवुड स्टूडियो के नेटवर्क को हैक कर करोड़ों डॉलर की चपत लगाने के मामले में सामने आ चुका है। अमरीका दोनों मामलों में उत्तर कोरिया के खिलाफ केस चलाने की तैयारी में जुटा है। खुफिया एजेंसी का हिस्सा है यूनिट 180 हैकरों की विशेष शाखा यूनिट 180 उत्तर कोरिया की खुफिया एजेंसी आर.जी.बी. का हिस्सा है। उत्तर कोरिया में कंप्यूटर साइंस के प्रोफेसर रह चुके किम हुंग-क्वांग इसकी पुष्टि करते हैं।