नई दिल्ली |
योगी आदित्यनाथ की सरकार के आने के बाद से यूपी में 150 से अधिक अपराधियों की जेल बदली गईं। इनमें से यूपी के एक सबसे बड़े गैंगस्टर मुन्ना बजरंगी को भी झांसी से पीलीभीत जेल ट्रांसफर किया गया था। मुन्ना बजरंगी ने योगी सरकार के इस आदेश के बाद सुप्रीम कोर्ट की शरण में जा पहुंचा। SC के आदेश के बाद योगी सरकार को अपना फैसला वापस लेना पड़ा।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यूपी सरकार ने इस हफ्ते मुन्ना बजरंगी को वापस झांसी जेल में शिफ्ट करने का आदेश जारी किया। यूपी, दिल्ली और मुंबई में हत्या, फिरौती जैसे 20 से अधिक गंभीर आपराधिक केसों में आरोपी गैंगस्टर मुन्ना बजरंगी को झांसी जेल से पीलीभीत ट्रांसफर किया गया था।
भारत-नेपाल सीमा से करीब 500 किलोमीटर दूर बजरंगी को शिफ्ट करने के पीछे की वजह झांसी जेल में उसके कथित नेक्सस को तोड़ने को बताया गया था। मुन्ना बजरंगी पर मुख्तार अंसारी के साथ मिलकर 2004 में बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या का आरोप भी है। योगी सरकार के जेल ट्रांसफर के आदेश के तुरंत बाद बजरंगी ने चार वकीलों के एक पैनल के साथ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में यूपी सरकार के फैसले को प्रथम दृष्टया गलत माना। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा लग रहा है कि इस मामले में वाराणसी सीजेएम और जौनपुर गैंगस्टर कोर्ट के स्पेशल जज के आदेश का उल्लंघन कर बजरंगी को पीलीभीत भेजा गया। आदेश में कहा गया कि अगले आदेश तक कैदी को झांसी सेंट्रल जेल में ही रखा जाए।