देहरादून |
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से महज 15 किलोमीटर दूर मोहंड फॉल्ट नौ रिक्टर स्केल तक के विनाशकारी भूकंप लाने की क्षमता रखता है। इस फॉल्ट के निर्माण की कम अवधि, चौड़ाई और इसकी सक्रियता के आधार पर आइआइटी (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान) मुंबई के वैज्ञानिक डॉ. मलय मुकुल के अध्ययन में इस बात का पता चला है।
डॉ. मुकुल ने अध्ययन को वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान में चल रही नेशनल जियो-रिसर्च स्कॉलर्स मीट में साझा किया। आइआइटी मुंबई के पृथ्वी विज्ञान विभाग के विज्ञानी डॉ. मलय मुकुल के मुताबिक मोहंड फॉल्ट महज पांच लाख साल पुराना है। इसे मेन फ्रंटल थ्रस्ट (एमएफटी) भी कहा जाता है।
यह हिमालय की गति करने की दिशा (उत्तर से दक्षिण) के हिसाब से मेन सेंट्रल थ्रस्ट (एमसीटी), मेन बाउंड्री थ्रस्ट (एमबीटी) से अधिक दूरी पर है। हिमालय पर जब भी भूकंप आते हैं तो अधिकतर पांच रिक्टर स्केल तक तीव्रता वाले भूकंप एमसीटी तक सीमित रहते हैं।
इससे थोड़ी अधिक छह-सात रिक्टर स्केल तक की क्षमता के भूकंप एमबीटी तक आते हैं और आठ से नौ रिक्टर स्केल के भूकंप एमएफटी तक पहुंचते हैं। मोहंड फॉल्ट एमएफटी का एक तरह से अंतिम छोर भी है और यहां पर इसकी चौड़ाई 800 मीटर तक है।
इस आधार पर यह भी निष्कर्ष निकलता है कि फॉल्ट बनने के बाद भी यहां पर भीषण भूकंप आए हैं। हालांकि सैकड़ों वर्ष से एमएफटी पर भूकंप रिपोर्ट नहीं किए गए हैं, जबकि यह सक्रिय स्थिति में है।
इसके चलते यहां पर भूभाग प्रतिवर्ष 13.8 मिलीमीटर दक्षिण की तरफ व 6.9 मिलीमीटर ऊपर की तरफ उठ रहा है। इसलिए भी इस बेल्ट में बड़े भूकंप से कभी भी इन्कार नहीं किया जा सकता। इनसेट) 2500 किमी लंबा है एमएफटी मेन फ्रंटल थ्रस्ट या फॉल्ट करीब 2500 किलोमीटर लंबा है।
एमसीटी या एमबीटी की लंबाई भी लगभग इतनी ही है। यह तीनों फॉल्ट लाइन एक दूसरे से बिना जुड़े समानांतर रेखा की तरह हैं। कह सकते हैं कि हिमालय इन तीन फॉल्ट लाइन में विभाजित है। तीन फॉल्ट लाइन की एक दूसरे के बीच की चौड़ाई करीब 400-500 मीटर तक है।