नई दिल्ली
चाइना पाक-इकॉनमिक कॉरिडोर (CPEC) महज ऐसा कॉरिडोर भर नहीं, इसके जरिए पाकिस्तान अपनी अर्थव्यवस्था में बड़े बदलाव की उम्मीद कर रहा है। यह एक ऐसा प्रॉजेक्ट है, जो पाकिस्तान की माली हालत और सामाजिक संरचना में उथल-पुथल मचा सकता है। CPEC का 15 साल का जो मास्टर प्लान सामने आया है, उसकी मौजूदा शर्तों के मुताबिक पाकिस्तान पूरी तरह से चीन के रहमोकरम पर निर्भर हो जाएगा। इस मास्टर प्लान की कॉपी ईटी के पास है। इसके मुताबिक, सीपीईसी के जरिए पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के अधिकतर सेक्टरों और वहां के समाज में चीनी कंपनियों और चीनी संस्कृति की बड़े पैमाने पर पैठ हो जाएगी।
चीन ने CPEC प्रॉजेक्ट के लिए 62 अरब डॉलर के निवेश का निर्णय किया है। मास्टर प्लान के तहत, पाकिस्तान में हजारों एकड़ कृषि भूमि चीन की कंपनियों को लीज पर दी जाएगी। वे वहां बीज की किस्मों से लेकर सिंचाई परियोजना तक के बारे में ‘डीमॉन्सट्रेशन प्रॉजेक्ट्स’ बनाएंगी। पेशावर से लेकर कराची तक के शहरों में निगरानी का एक सिस्टम बनाया जाएगा। सड़कों और व्यस्त बाजारों में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए दिन-रात वीडियो रिकॉर्डिंग का सिस्टम होगा।