इंदौर।
शिशु लिंग परीक्षण और कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए जिला प्रशासन अब मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) सेंटरों की कड़ी निगरानी करने वाला है। खास निगाह उन गर्भवतियों पर रहेगी, जिनकी पहले से दो या तीन बेटियां हैं।
ऐसी महिलाओं की सोनोग्राफी रिपोर्ट को आधार बनाकर पीसी एंड पीएनडीटी सेल काम करेगा। इसके लिए शहर के 85 वार्डों में सेक्टर डॉक्टर, एएनएम और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी सौंपी जा रही है।
जिला प्रशासन एमटीपी सेंटरों की निगरानी का प्लान तैयार कर चुका है। जल्द ही इसे अमल में लाया जाएगा। कलेक्टर पी नरहरि ने पिछले दिनों शासकीय डॉक्टरों, एएनएम की बैठक में तय किया है कि जब गर्भवती किसी सोनोग्राफी सेंटर पर सोनोग्राफी के लिए जाएगी तो पीसी एंड पीएनडीटी सेल उन महिलाओं के फॉर्म-एफ की छंटनी कर लेगा, जिनकी दो या तीन बेटियां पहले से हैं।
ये फॉर्म-एफ मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के अलावा उस एरिया के सेक्टर डॉक्टर को ई-मेल किए जाएंगे। सेक्टर डॉक्टर संबंधित एएनएम को ये फॉर्म सौंपेंगे। एएनएम उन महिलाओं पर निगरानी रखेंगी। इनमें से कोई महिला एमटीपी कराती है तो उसकी प्रेग्नेंसी की स्थिति और एमटीपी सेंटर की जानकारी पीसी एंड पीएनडीटी सेल को सौंपी जाएगी।
इसके बाद सेल उस एमटीपी के कारणों की जांच-पड़ताल करेगी। इस तरह हर एमटीपी की जांच हो जाएगी कि भारत सरकार के नियमों के तहत वह अनिवार्य थी या बिना वजह कराई गई।