लंदन |
शुक्रवार को कई देशों में साइबर अपराधियों ने अस्पतालों, टेलिकॉम फर्म और कई दूसरी कंपनियों को फिरौती के उद्देश्य से निशाना बनाया, जिससे कई देशों में हड़कंप मच गया। हैकर्स ने अमेरिका की नैशनल सिक्यॉरिटी एजेंसी जैसी तकनीक का इस्तेमाल कर इतने बड़े पैमाने पर साइबर अटैक किया। माना जा रहा है कि अमेरिका की नैशनल सिक्यॉरिटी एजेंसी जिस तकनीक का इस्तेमाल करती थी वह इंटरनेट पर लीक हो गई थी और हैकर्स ने उसी तकनीक का इस्तेमाल किया है। इस साइबर हमले से ब्रिटेन की हेल्थ सर्विस बुरी तरह प्रभावित हुई है। हमले के शिकार अस्पतालों के वार्ड और इमरजेंसी रूम बंद कर दिए हैं।
ब्रिटेन की तरह ही स्पेन, पुर्तगाल और रूस में भी साइबर हमले हुए। 90 से ज्यादा देश इस साइबर हमले की चपेट में आए हैं। सुरक्षा फर्म कैस्परस्की लैब और अवेस्टसेड ने इस हमले के लिए जिम्मेदार मैलवेयर की पहचान की है। दोनों सुरक्षा फर्मों का कहना है कि इस साइबर हमले से रूस सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है।
रूस के आंतरिक मामलों के मंत्रालय ने ‘रैंसमवेयर’ अटैक की पुष्टि की है। दरअसल रैंसमवेयर एक तरह का मैलवेयर है जो प्रभावित कंप्यूटरों के डेटा को एनक्रिप्ट कर देता है और इसके जरिए साइबर अटैकर डिजिटल करंसी में फिरौती मांगते हैं। ब्रिटेन की हेल्थ सर्विस भी शुक्रवार को साइबर हमले से बुरी तरह प्रभावित हुई। हमलावरों ने देशभर के अस्पतालों के कंप्यूटरों को निशाना बनाया जिसके बाद वार्डों और इमरजेंसी रूम्स को बंद कर दिया गया, जिससे इलाज का काम रूक गया। कई अस्पतालों ने अपने नियमित कामकाज को रोक दिया और मरीजों से कहा गया कि जब तक कि कोई इमरजेंसी न हो, वे अस्पताल न आएं। अस्पतालों के कम्प्यूटर बंद हो गए और फोन सिस्टम भी काम करना बंद कर दिया। यहां तक कि कुछ कीमोथेरपी के मरीजों को भी उनके घर भेज दिया गया क्योंकि कम्यूटर तक पहुंच न होने के कारण उनके रेकॉर्ड नहीं मिले। इंग्लैंड के अस्पतालों पर इस हमले की सबसे ज्यादा मार पड़ी लेकिन स्कॉटलैंड में कुछ अस्पताल इस साइबर हमले की चपेट में आए हैं।