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हैदराबाद |
भारतीय अंतरिक्ष संगठन इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) अगले महीने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल करने जा रहा है। भारत अपने सबसे ताकतवर रॉकेट को लॉन्च करने की योजना बना रहा है। यह रॉकेट अपेक्षाकृत ज्यादा भारी 4 टन के कम्युनिकेशन सैटलाइट को ढो सकने में सक्षम होगा। इस रॉकेट को ‘गेम चेंजर’ कहा गया है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, यह अपने किस्म का पहला स्पेस मिशन होगा।
भारत अरबों डॉलर के ग्लोबल सैटलाइट लॉन्च मार्केट में ज्यादा हिस्सेदारी हासिल करने की दिशा में काम कर रहा है। भारत की कोशिश है कि लॉन्च के लिए इंटरनैशनल वीइकल्स पर निर्भरता कम की जाए। इसरो ने शुक्रवार को कहा कि उसे उम्मीद है कि वह जियोसिन्क्रोनस सैटलाइट लॉन्च वीइकल (GSLV) मार्क-III को जून के पहले हफ्ते में लॉन्च कर पाएगा। इस लॉन्च की कामयाबी से भारत अंतरिक्ष कार्यक्रम में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और बड़ा कदम बढ़ाएगा।
बता दें कि इस वक्त सैटलाइट को मनमुताबिक कक्षा में स्थापित करने के लिए इस्तेमाल किए जा सकने वाले इसरो के रॉकेटों (लॉन्चिंग वीइकल्स) में 2.2 टन वजन तक के सैटलाइट प्रक्षेपित करने की क्षमता है। इसके ज्यादा वजन के लॉन्च के लिए विदेश पर निर्भर रहना पड़ता है। इसरो के चेयरमैन एस किरन कुमार ने कहा, ‘जीएसएलवी मार्क-III हमारा अगला लॉन्च होगा। हम इसकी तैयारी कर रहे हैं। श्रीहरिकोटा में सारे सिस्टम लग चुके हैं। सिस्टम को जोड़ने का काम चल रहा है।’ उन्होंने कहा,’अनेक स्तरों को जोड़ने और फिर उपग्रह को हीट शील्ड में लगाने की पूरी प्रक्रिया चल रही है। जून के पहले हफ्ते में हम इस लॉन्च का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं।’
इसरो की नजर में इस रॉकेट को इस्तेमाल में लाना ‘गेमचेंजर’ साबित होगा। जीएसएलवी मार्क-III भारत की ओर से बनाया गया आज तक का सबसे ताकतवर लॉन्च वीइकल होगा, जो स्पेस में सबसे भारी सैटलाइट्स को ले जा सकने में सक्षम होगा। यह वर्तमान में इस्तेमाल GSLV-Mark-II के मुकाबले दोगुने वजन के सैटलाइट्स को अंतरिक्ष में ले जा सकने में सक्षम होगा। इसकी मदद से इसरो न केवल ज्यादा वजनी कम्युनिकेशन सैटलाइट्स को भारत से ही लॉन्च कर सकेगा, बल्कि उन्हें अंतरिक्ष में 36,000 किमी ऊपर स्थित कक्षा में स्थापित किया जा सकेगा।
वर्तमान मेंएक ताकतवर रॉकेट की कमी की वजह से इसरो 2 टन से ज्यादा के सैटलाइट बड़ी फीस चुकाकर यूरोपियन देशों के रॉकेट से लॉन्च करवाता है। किरन कुमार ने बताया कि अब चार टन या उससे भी ज्यादा वजन के सैटलाइट्स को भारत से ही छोड़े जाने की योजना है। GSLV Mark-III में भारतीय क्रायोजनिक थर्ड स्टेज इंजन लगा है। ये अंतरिक्ष में जियोस्टेशनरी रेडिएशन स्पेक्ट्रोमीटर (GRASP) ले जाने में सक्षम होगा, जिसकी मदद से चार्ज्ड पार्टिकल्स और अंतरिक्ष यान पर स्पेस रेडिएशन के असर का अध्ययन किया जा सकेगा।
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