नई दिल्ली |
हाल ही में 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा की बड़ी जीत को देखते हुए कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी पार्टी की हार पर विचार में हैं। केवल विचार ही नहीं बल्कि वो भाजपा के खिलाफ विपक्ष को भी एकजुट करने में लगी हैं। जल्द ही देश में राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं। अटकलें हैं कि इन चुनावों में भी भाजपा की ही जीत होनी है लेकिन भाजपा को हराने के लिए सोनिया गांधी विपक्ष को एकजुट करने की मेहनत में लगी हैं। कुछ समय पहले इसी कारण से बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) अध्यक्ष नीतीश कुमार ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की थी। जिसके बाद मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) महासचिव सीताराम येचुरी ने भी सोनिया गांधी से मुलाकात की।
सूत्रों के मुताबिक येचुरी ने सोनिया से आगामी राष्ट्रपति चुनाव पर चर्चा की थी। राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी दलों की गोलबंदी की कोशिशों में जुटी सोनिया के लिए येचुरी नए सियासी सद्भावना दूत की भूमिका निभा रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि येचुरी ने जगन रेड्डी से राष्ट्रपति चुनाव पर हुई अपनी मुलाकात के दौरान वाईएसआर कांग्रेस के प्रमुख की कांग्रेस से सख्त नाराजगी को दूर करने की कोशिश की।
गौरतलब है कि आंध्रप्रदेश के बंटवारे से पहले विधायकों का समर्थन होने के बावजूद कांग्रेस नेतृत्व ने जगन को मुख्यमंत्री बनाने से इनकार कर दिया था इससे नाराज होकर उन्होंने अपनी नई पार्टी वाईएसआर कांग्रेस बना ली थी। माकपा महासचिव येचुरी की विपक्षी खेमे के अधिकांश दलों के नेताओं के साथ अच्छे रिश्ते हैं। विपक्ष को एकजुट करने की पहल में साफ तौर पर येचुरी की इस क्षमता का उपयोग करने से सोनिया छोडऩा नहीं चाहतीं।