इंदौर ।
स्वच्छता सर्वेक्षण में शहर के नंबर वन आने के बाद अब दौड़ में पिछड़े दूसरे शहरों में इंदौर के सफाई मॉडल की चर्चा होने लगी है। कुछ नगर निगमों ने सफाई को लेकर महापौर से चर्चा भी की है।
इंदौर शहर में कभी सफाई का हाल इतना बुरा था कि हाई कोर्ट ने शहर के चार वार्डों में राऊ और कानपुर मॉडल प्रयोग बतौर अपनाने के लिए कहा था। कुछ दिनों तक दोनों मॉडल के हिसाब से सफाई हुई, लेकिन हालात फिर भी नहीं सुधरे। ढाई साल में निगम ने इस तरह खुद को तैयार किया कि अब दूसरे शहर इंदौर की व्यवस्था अपनाने की होड़ में है। भुसावल, वडोदरा, पुणे सहित अन्य कुछ शहरों ने यहां के सफाई मॉडल की जानकारी मांगी है।
शहरवासियों की जागरुकता के कारण बना खास
इंदौर मॉडल की सबसे बड़ी खासियत शहरवासियों की जागरुकता भी है। सफाई के संसाधन तो नगर निगमों ने कई जुटा रखे हैं, लेकिन उनका सही उपयोग नहीं होता है। नगर निगम ने डोर टू डोर कचरा संग्रहण शुरू करने के साथ उन्हीं वाहनों से लोगों को जागरूक करने की प्लानिंग की, जो काम आई। लोग घरों में कचरा संभालकर रखने लगे और गाड़ी आने पर उसमें डालते हैं।