भोपाल।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के उपभोक्ताओं की प्रदेश में बढ़ती तादाद को देखते हुए अब सरकार ने अपात्रों को बाहर करने के मापदंड तय कर दिए हैं। इसके तहत न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 50 क्विंटल गेहूं, धान व मक्का बेचने वाले को गरीब नहीं, संपन्न् माना जाएगा। इसी तरह जिस परिवार के पास दो हेक्टयर से ज्यादा सिंचित और तीन हेक्टेयर असिंचित जमीन होगी, उन्हें रियायती दर पर राशन लेने के हकदार परिवार की सूची में नहीं रखा जाएगा।
प्रदेश में 1 करोड़ 15 लाख परिवार से ज्यादा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत एक रुपए किलो में गेहूं और चावल ले रहे हैं। इसके बाद भी ग्रामोदय अभियान से लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को दौरों के वक्त पात्रता पर्ची नहीं मिलने की शिकायतें मिल रही हैं।
इसको लेकर मंत्री कैबिनेट में मुद्दा भी उठा चुके हैं। इसे देखते हुए सरकार ने अपात्रों के नाम पीडीएस की सूची से काटने का फैसला करते हुए संपन्न् परिवारों के नाम सूची से हटाने के मापदंड तय कर दिए हैं। खाद्य आयुक्त विवेक पोरवाल ने बताया कि ऐसे परिवार, जिनका कोई भी सदस्य आयकरदाता या व्यवसाय कर दाता होगा, उन्हें सूची से बाहर कर दिया जाएगा।
इसी तरह नियमित, संविदा, मानदेय पर सरकारी या अर्द्ध सरकारी संस्था में काम करने वाले (आंगनबाड़ी सहायिका, कार्यकर्ता, आशा कार्यकर्ता, मध्या- भोजन बनाने वाला रसोईया, अनुसूचित जाति-जनजाति के चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी के परिवार को छोड़कर), शहरी क्षेत्र में 500 वर्गफीट और ग्रामीण क्षेत्र में 1500 वर्गफीट के पक्के मकान वाले, किसान क्रेडिट कार्डधारक (एक लाख से अधिक साख सीमा वाले) को भी संपन्न् मानते हुए पीडीएस की सूची से बाहर किया जाएगा।