नई दिल्ली |
दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में चीन के बढ़ते प्रभाव पर भारत करीबी नजर रख रहा है। नरेन्द्र मोदी सरकार की ईस्ट पॉलिसी के तहत भारत ने इन देशों में पिछले 3 वर्षों में इंफ्रास्ट्रक्चर और अन्य प्रोजेक्ट्स पर काम किया है, लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि ‘वन बेल्ट, वन रोड’ या OBOR प्रोजेक्ट के तहत चीन के भारी इनवेस्टमेंट से इस रीजन में राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता पैदा हो सकती है, जिसका असर भारत पर भी पड़ेगा।
कंबोडिया और लाओस जैसे देशों में चीन के इनवेस्टमेंट का मकसद रीजनल कनेक्टिविटी के साथ ही अपना प्रभाव बढ़ाना भी है।
चीन की ओर से 14-15 मई को OBOR पर आयोजित की जा रही मीटिंग में कंबोडिया, लाओस, इंडोनेशिया और म्यांमार हिस्सा लेने जा रहे हैं। हालांकि, चीन के साथ अपने कमजोर राजनीतिक संबंधों के मद्देनजर वियतनाम के इस मीटिंग में शामिल होने की संभावना कम है।