भोपाल।
राजधानी में नोटबंदी के समय लोगों को पुराने नोटों को बदलने भले कतार में लगने की परेशानी उठानी पड़ी, लेकिन घरों में चोरियों की वारदात 20 फीसदी घट गईं। यह हम नहीं बल्कि पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि नोटबंदी के दौरान पिछले साल नवंबर से इस साल फरवरी तक (चार महीने) में जहां 382 घरों में चोरियां हुई, वहीं 2015-16 के इन्हीं महीनों में 462 घरों को निशाना बनाया गया था।
तुलनात्मक रूप से कम चोरियां होने से लोगों के करीब छह करोड़ रुपए बच गए। पुलिस की पूछताछ में चोरों ने भी खुलासा कि है कि वह पांच सौ और हजार के पुराने नोटों को बदलने की झंझट के चलते घरों में नकदी चुराने से कतराने लगे थे।
आठ नवंबर 2016 की रात नोटबंदी की घोषणा हुई थी। इससे चोरों का धंधा मंदा हो गया। पिछले दिनों
पुलिस के हत्थे चढ़े चोरों ने पूछताछ में खुलासा किया कि ज्यादातर लोग घर में 500 और 1000 के नोट रखते थे। इसी कारण घर में चोरी करने पर अधिक लाभ होता था। नोटबंदी के कारण यह नोट सिर्फ कागज के टुकड़े हो गए थे।
ऐसे में घर में चोरी का जोखिम क्यों लेते? पुलिस के भी आंकड़े बताते हैं कि 2015-16 में नवंबर, दिसंबर, जनवरी और फरवरी में कुल 7 करोड़ 87 लाख 13 हजार 309 रुपए घरों से चोरी हुए थे, जबकि वर्ष 2016-17 में (नोटबंदी के दौरान) यह रकम घटकर सिर्फ 1 करोड़ 72 लाख 5 हजार 387 रुपए ही रह गई। इस तरह लोगों की मेहनत की कमाई के करीब 6 करोड़ रुपए पर चोर हाथ साफ नहीं कर पाए।