घिरता पाकिस्तान
भारत ने पाकिस्तान में चल रहे जैश के ठिकानों को तो नष्ट किया ही है, साथ ही दुनियाभर में उसके खिलाफ जो कूटनीतिक अभियान शुरू किया है, उसके नतीजे भी सामने आने लगे हैं। चौवालीस देशों में तैनात भारत के रक्षा राजनयिकों को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है कि वे पाकिस्तान को बेनकाब करें।
पाकिस्तान में मौजूद जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों को नष्ट करने की भारत की कार्रवाई को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जोरदार समर्थन मिल रहा है। कई देशों ने इस कार्रवाई को जायज बताते हुए पाकिस्तान को चेताया है कि वह अब आतंकवाद फैलाना बंद कर दे। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की एक बड़ी कामयाबी यह है कि फ्रांस भी इस अभियान में भारत के साथ आ गया है। उसने कहा है कि वह जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने की दिशा में काम कर रहा है। दरअसल, फ्रांस को अगले महीने सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता का अवसर मिलेगा और उसका कहना है कि वह मसूद अजहर पर पाबंदी से संबंधित प्रस्ताव को प्रतिबंध समिति के समक्ष रखेगा। वह जिस तेजी से इस प्रस्ताव को तैयार करने में जुटा है उससे उम्मीद है कि इस बार सुरक्षा परिषद में यह दांव खाली नहीं जाएगा और मसूद अजहर पर पाबंदी लगवाने के भारत के प्रयासों को सफलता मिलेगी। अगर यह प्रस्ताव पेश हो जाता है तो संयुक्त राष्ट्र में पिछले दस साल में यह चौथा मौका होगा जब अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने की मांग की जाएगी।
लेकिन इस बार भी देखने की बात यह है कि मसूद अजहर पर पाबंदी को लेकर चीन का रुख क्या रहता है। सुरक्षा परिषद में जब-जब यह मामला गया है, चीन ने इस प्रस्ताव पर वीटो कर दिया और मसूद अजहर को आतंकवादी मानने से इनकार कर दिया। यह भी किसी से छिपा नहीं है कि भारत की संसद पर हमला, मुंबई हमला, उड़ी, पठानकोट और नगरोटा जैसे हमलों को जैश ने ही अंजाम दिया था। भारत सभी अंतरराष्ट्रीय मंचों से इस बात को उठा चुका है और सबूत तक पेश किए हैं। लेकिन यह हैरानी की बात है कि पर्याप्त सबूत होने के बावजूद चीन मसूद अजहर को आतंकी नहीं मानता। अगर चीन ने इस मसले पर भारत का साथ दिया होता तो मसूद सहित पाकिस्तान पर कब का शिकंजा कस गया होता। लेकिन अब फ्रांस और अन्य देश आतंकवाद के मुद्दे पर जिस तरह भारत के साथ खड़े हुए हैं, वह चीन जैसे देशों के लिए बड़ा संदेश है। चीन की यात्रा पर गईं भारत की विदेश मंत्री ने साफ शब्दों में चीन को बता दिया है कि पाकिस्तान अब तक जिस तरह जैश-ए-मोहम्मद और उसके आका मसूद अजहर को समर्थन देता आया है, भारत की कार्रवाई उसी का जवाब है।
भारत ने पाकिस्तान में चल रहे जैश के ठिकानों को तो नष्ट किया ही है, साथ ही दुनियाभर में उसके खिलाफ जो कूटनीतिक अभियान शुरू किया है, उसके नतीजे भी सामने आने लगे हैं। चौवालीस देशों में तैनात भारत के रक्षा राजनयिकों को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है कि वे पाकिस्तान को बेनकाब करें। आस्ट्रेलिया और ब्रिटेन जैसे देशों ने भी मौजूदा घटनाक्रम पर चिंता जाहिर की है और भारत के प्रति समर्थन व्यक्त किया है। आस्ट्रेलिया ने पाकिस्तान को नसीहत दी है कि वह अपने यहां चल रहे आतंकी संगठनों पर कार्रवाई करे। अमेरिका भी कई बार पाकिस्तान को चेता चुका है कि वह अपने यहां मौजूद आतंकी संगठनों पर कार्रवाई करे। अमेरिका ने तो पाकिस्तान को सैन्य और आर्थिक मदद बंद करने जैसे कदम भी उठाए हैं। यूरोपीय संघ के कई देश पहले ही आतंकवाद का सामना कर रहे हैं। ऐसे में ये देश भी पाकिस्तान के खिलाफ अब सख्त कार्रवाई होते देखना चाहते हैं। ऐसे में पाकिस्तान के सामने एकमात्र यही रास्ता है कि वह भारत के बजाय मसूद अजहर जैसे आतंकियों और जैश, लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों के खिलाफ युद्ध-अभियान छेड़े और इनका खात्मा करे।