नई दिल्ली |
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत का मानना है कि संविधान पर पुनर्विचार की फिलहाल जरूरत नहीं है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा संविधान की प्रस्तावना में बाद में जोड़े गए सोशलिस्ट और सेक्युलर शब्द को प्रस्तावना में रखना चाहिए या नहीं, इस पर सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि ‘इंडिया दैट इज भारत’ की बजाय सिर्फ भारत ही हो, इस पर भी विचार किया जाना चाहिए।
शुक्रवार देर शाम भागवत ने दिल्ली में एजुकेशन, इंडस्ट्री, कॉमर्स जगत के चुनिंदा लोगों के साथ ही रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स और रिटायर्ड आर्मी ऑफिसर्स से मुलाकात की। सूत्रों के मुताबिक यह चर्चा करीब दो घंटे चली जिसके बाद सबने साथ ही डिनर किया। इसमें करीब 80 लोग शामिल थे। शुरूआत संघ प्रमुख मोहन भागवत ने देश के अहम मुद्दों पर संघ की क्या सोच है यह बताकर की। इसके बाद सवाल और सुझावों का सिलसिला चला।
सूत्रों के मुताबिक संघ प्रमुख से पूछा गया कि क्या संविधान पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए? जवाब में उन्होंने कहा कि संविधान के प्रस्तावना, मौलिक अधिकार और मौलिक कर्तव्य देखकर लगता है कि संविधान बहुत अच्छे लोगों ने मिलकर और बहुत समझदारी से बनाया है। इसलिए अभी तो इस पर पुनर्विचार की जरूरत नहीं लगती। हालांकि उन्होंने कहा ‘कई लोग मुझे सुझाव देते हैं कि संविधान में इंडिया दैट इज भारत लिखा है तो इससे इंडिया हटाना चाहिए और भारत ही होना चाहिए, मुझे भी लगता है कि भारत को भारत ही होना चाहिए, तो इस पर सोचा जाना चाहिए।’