नई दिल्ली |
भले ही जवाहरलाल नेहरु यूनिवर्सिटी प्रशासन ने रात 11 बजे के बाद कैंपस में ढाबों को बंद करने का फरमान सुनाया हो, लेकिन इसके बावजूद छात्रों की देर रात की चाय और उसके साथ आने वाले आइडिया कम नहीं हुए हैं। जैसे ही ढाबों से रोशनी जाती है, वैसे ही स्टूडेंट्स यूनिवर्सिटी लाइब्रेरी के पास विरोध करने के लिए ‘गरिला ढाबा’ पहुंच जाते हैं।
देर रात तक चाय की चुस्कियों के साथ चर्चा करना जेएनयू के कल्चर का हिस्सा रहा है। ऐसे में यूनिवर्सिटी प्रशासन की तरफ से सुरक्षा की बात पर रात में ढाबे न खोलने के फैसले का स्टूडेंट्स विरोध कर रहे हैं। जनरल बॉडी मीटिंग में स्टूडेंट्स ने अपनी चर्चा के लिए अलग जगह तैयार करने का फैसला लिया है। एक स्टूडेंट ने बताया कि ढाबा कलेक्टिव शुरू किया है, जिसमें स्टूडेंट चाय बनाने से लेकर बिस्किट लाने तक के लिए वॉलंटियर कर सकते हैं। एमफिल स्टूडेंट स्वाती सिन्हा ने बताया, ‘प्रशासन को लगता है कि रात में ढाबा खुला रखने से सुरक्षा के साथ समझौता होता है, लेकिन हमें लगता है कि ऐसा न करने से जेएनयू अपनी सुंदरता खो रहा है।’ स्वाती का कहना है कि जल्द ही ऐसे और ढाबे भी तैयार किए जाएंगे।
अपने काम पर असर पड़ने के बात कहते हुए एक चाय वाले ध्रुव ने बताया कि जेएनयू कैंपस में कई हॉस्टल और लाइब्रेरी हैं, जा रात भर खुली रहती हैं। जो स्टूडेंट रात भर पढ़ाई करते हैं उन्हें कुछ न कुछ रिफ्रेशमेंट के तौर पर कुछ चाहिए। ध्रुव का कहना है, ‘हम लोग देर रात तक अपनी दुकान खोलते थे, लेकिन यूनिवर्सिटी प्रशासन ने हमें रात 11 बजे के बाद चाय देने से मना कर दिया है। इससे हमारे काम पर भी असर पड़ा है।’