मुरैना।
‘किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार, किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार” यही वह गीत है जो शहर के करीब 20 दोस्तों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बना। ये 20 दोस्त सालों से ऐसे बच्चों के चेहरे पर मुस्कान ला रहे हैं, जो दिव्यांग हैं या जिनके सिर पर मां-बाप का साया नहीं है।
अक्सर आंखों में आंसू भर लाने वाले इन बच्चों को मुस्कुराने का मौका देने के लिए शहर के दोस्तों को समूह कोई न कोई बहाना ढूंढता है। अपनी पॉकेट मनी से पैसे बचाकर यह दोस्त इन बच्चों का जन्म दिन मनाते हैं और उनकी जरूरत का सामान भी उन्हें देते हैं। ये दोस्त अपने और अपने परिवार के खास दिन भी इन्हीं बच्चों के बीच पहुंचकर मनाते हैं।
शहर के दोस्तों ने अपने गु्रप को द सोसायटी ऑफ नोबेल फ्रेंडस नाम दिया है। इस ग्रुप के मुखिया रॉबिन जैन खुद दिव्यांग हैं। राबिन के छोटे भाई तनुज जैन ने अपने भाई की ही तरह दूसरे दिव्यांग बच्चों को देखकर अपने दोस्तों से ऐसा ग्रुप बनाने की पेशकश की जो शहर के अनाथालयों और दिव्यांग आश्रमों में रहने वाले बच्चों को खुश रखने के लिए काम करे।
एक छोटी सी मीटिंग के बाद ग्रुप का नामकरण हुआ। तय हुआ कि सभी दोस्त अपनी पॉकेट मनी से हर महीने 200 से 300 स्र्पए बचाएंगे। इस पैसे से दिव्यांग और अनाथ बच्चों के लिए विभिन्न् गतिविधियों का आयोजन होगा।
दोस्तों के समूह के पास शहर के आधा दर्जन अनाथलय और दिव्यांग आश्रमों के 200 से भी ज्यादा बच्चों के जन्म दिन नोट हैं। हर बच्चे का जन्म दिन मनाने के लिए ये दोस्त पूरी प्लानिंग के साथ पहुंचते हैं। इसके अलावा होली, दिवाली और दूसरे त्यौहारों पर बच्चों के लिए पटाखे, पिचकारी और मिठाईयां भी लेकर जाते हैं।