नई दिल्ली |
डोकलाम के पास चीन के जवानों की तैनाती बढ़ने की खबर है। विदेश सचिव एस जयशंकर ने मंगलवार को थिंपू में भूटानी अधिकारियों के साथ इस सिलसिले में बातचीत की। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की मुलाकात के बाद हफ्तों से चला आ रहा डोकलाम गतिरोध खत्म हुआ था।
ऐसी घटनाएं फिर ना हों, इसके लिए दोनों नेताओं ने बैठक में भरोसा बहाली के उपाय बढ़ाने का फैसला किया था। डोकलाम भारत, चीन और भूटान की सीमाओं पर ट्राईजंक्शन पॉइंट है। 28 अगस्त को डोकलाम मामले में गतिरोध खत्म होने के बाद किसी टॉप भारतीय अधिकारी का यह पहला भूटान दौरा है। विदेश सचिव जयशंकर के साथ कई अन्य अधिकारी भी वहां गए हैं। डोकलाम विवाद खत्म हो गया था। अब खबर आई है कि चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने ट्राईजंक्शन पॉइंट के करीब जवानों की तैनाती बढ़ाई है।
दिलचस्प बात यह है कि ये खबरें चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी कांग्रेस से पहले आई हैं। चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी के सम्मेलन में राष्ट्रपति शी चिनफिंग को दूसरे टर्म के लिए चुना जाना तय है। इससे पहले अधिक सैनिकों की तैनाती ताकत का प्रदर्शन करने की कोशिश हो सकती है। पीएलए ने पहले विवादित चीन-भूटान बॉर्डर के साथ 3 पॉइंट्स पर भूटान के क्षेत्र में प्रवेश किया था। इसमें भूटान की तरफ से भारत ने दखल दिया था। इस विवाद ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा था। भारत और भूटान दोनों डोकलाम के पास सैनिकों की तैनाती बढ़ने और भूटानी क्षेत्र में बार-बार चीन के घुसपैठ से चिंतित हैं। ट्राईजंक्शन बॉर्डर पॉइंट विवाद को हल करने के लिए त्रिपक्षीय तंत्र के प्रस्ताव पर काम चल रहा है। भूटान, भारत और चीन, म्यांमार के साथ ट्राईजंक्शन बाउंड्री पॉइंट साझा करते हैं।