भोपाल।
बाघों की मौत के मामले में मध्य प्रदेश का स्थान देश में पहले नंबर पर है। नेशनल टाइगर कंजरवेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) के आंकड़ों के मुताबिक यहां बीते एक साल में 27 बाघों की मौत हो चुकी है। इनमें भी सबसे ज्यादा मौतें बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हुई हैं।
पार्क में 12 माह में नौ बाघों की जान जा चुकी हैं। वन्यप्राणी विशेषज्ञ इसके लिए प्रबंधन के मैनेजमेंट को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। उनका कहना है कि फील्ड और मुख्यालय में पदस्थ अफसर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
हाल ही में बांधवगढ़ में दो और पेंच टाइगर रिजर्व में एक बाघ व तेंदुआ शावक की मौत हुई है। इन्हें मिलाकर 29 सितंबर 2016 से 30 सितंबर 2017 तक मरने वाले बाघों का आंकड़ा 27 तक पहुंच गया है। इनमें टेरेटोरियल फाइट, बीमारी, ट्रेन एक्सीडेंट, शिकार के मामले शामिल हैं।
वाइल्ड लाइफ मुख्यालय के अफसर इसे सामान्य स्थिति मानते हैं। उनका कहना है कि बाघों में 10 फीसदी मौत सामान्य है। इसलिए 308 से ज्यादा बाघों की उपस्थिति के मामले में ये गंभीर बात नहीं है। उल्लेखनीय है कि बाघ स्टेट का दर्जा प्राप्त कर्नाटक में इस अवधि में 18 बाघों की मौत हुई है। यहां वर्ष 2014 की गिनती के मुताबिक 406 बाघ हैं।