जब किसी काम को शिद्दत से चाहो तो कायनात भी उस काम की सफल करने में पूरा सहयोग देती हैं और इरादे मजबूत हो राहें आसान हो जाती है एक ऐसा शख्स जिसका जुनून ही उसके समाज में होने की पहचान है, जो हर समय ज़रूरतमंदों के साथ खड़ा हो कर हरसंभव मदद करने को ही अपना कर्म मानता हो, जिसने व्यवसाय और मुसीबत के दौर में भी अपने सिद्धांतों का साथ नहीं छोड़ा, जो हर साथी का चहेता हो | हम बात कर रहे है मध्यप्रदेश के धार जिले की छोटी–सी तहसील कुक्षी में पले–बड़े, और फिर आर्थिक राजधानी इंदौर में शिक्षा–दीक्षा लेकर पत्रकारिता जगत में कदम रखते हुए व्यवसायी बनें अर्पण जैन ‘अविचल‘ की |
अर्पण जैन एक ऐसे उद्यमी और निवेशक हैं, जिन्हें कई कंपनियों को शुरू करने और सफलतापूर्वक उनका संचालन करने का श्रेय हासिल है।
29 अप्रैल, 1989 को कुक्षी में जन्मे अर्पण अपने माता-पिता के दो बच्चों में से सबसे बड़े हैं,। उनकी एक छोटी बहन हैं। उनके पिता सुरेश जैन एक बिल्डिंग और सड़क निर्माण का कार्य करते है। उनके पिता का ये कारोबार काफी लाभप्रद अवस्था में चल रहा था। परन्तु पिता के कारोबार में रूचि न होने और अपनी अलग दुनिया बनाने के ख्वाइश ने अर्पण को टेक्नोक्रेट बना दिया |
अर्पण जैन ‘अविचल’ ने आरंभिक शिक्षा वर्धमान जैन हाईस्कूल और शा. बा. उ. मा. विद्धयालय कुक्षी में हासिल की, राजीव गाँधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्धयालय के अंतर्गत एसएटीएम कॉलेज से कम्प्यूटर साइंस में बेचलर ऑफ इंजीनियरिंग (बीई-कंप्यूटर साइंस) में ग्रेजुएशन की पढ़ाई के दौरान ही अर्पण जैन ने सॉफ्टवेयर व वेबसाईट का निर्माण शुरू कर दिया था। इसी दौरान सॉफ्टवेयर कंपनी में नौकरी भी की |
एक मध्यवर्गीय परिवार से आने वाले किसी भी शख्स का सपना क्या होता है? यही न कि एक अच्छी शिक्षा प्राप्त करने के बाद मोटी रकम वाली सम्मानजनक नौकरी मिल जाए। लेकिन अर्पण अर्पण अपनी इस 9 से 5 वाली और मौटे वेतन वाली नौकरी से संतुष्ट नहीं थे। एक दिन उन्होंने अपने कंफर्ट क्षेत्र से बाहर निकलने का फैसला किया और अपना खुद का उद्यम शुरू किया।
सपने बड़े होने के कारण स्वयं की कंपनी बनाने का ख्वाब पूरा करने में अर्पण जुटे तो सही परन्तु दो माह बिना नौकरी के भी घर पर ही भविष्य की रणनीति बनाने के दौरान सभी बचत ख़त्म कर चुके अर्पण के जेब में मात्र १५० रुपये भी बचे थे | इसी में कंपनी शुरू करने के लिए इन्होने अपने एक मित्र से उनके सायबर केफे का पता और फोन नंबर लिया ताकि कोई व्यक्ति पते पर मिलने आ सके और सायबर केफे की एक सीट जिस पर अपने लेपटॉप से वेबसाईट निर्माण आदि कर सके | मात्र १५० रुपये लेकर तथा मित्र के सहयोग से एक डोमेन गिफ्ट लेकर ११ जनवरी २०१० को ‘सेन्स टेक्नोलॉजीस’ की शुरुआत हुई, बीस दिनों की सतत मेहनत के बार सेन्स को पहला ग्राहक ‘ चाकलेट फाउन्टेन’ मिला |
आर्थिक संघर्षों से जुझ रहे अर्पण ने एक बीमा मार्केटिंग कंपनी डे-बिज एश्योरेन्स प्रायवेट लिमिटेड कंपनी में भी नौकरी की | मार्च के महीने में बीमा कंपनियों का बहुत ही महत्वपूर्ण समय चल रहा होता है इसी दौरान कुछ बात होने पर डे-बिज से 1 अप्रैल अर्पण ने 1 माह १५ दिन में ही डेबिज से त्यागपर देकर विदाई ली | और डे-बिज एक एक निर्देशक ने तब अर्पण से कहाँ कि’ ऐसे एक माह में नौकरी छोड़ रहा है, जीवन में क्या करेगा?’ | इसी बात को गांठ बांध कर अर्पण निकल पड़ा अपनी राह | इसी दौरान सेन्स में भी काफी उतार-चढ़ाव आए परन्तु अपनी हठ और जिद्द के चलते अर्पण ने सेन्स को मध्यभारत में एक मुकाम दिलाया | एक साल छह महीने बीत गए और फिर डे-बीज के निर्देशकों से मिले उसे खरीदने की इच्छा जाहिर की और २२ जुलाई २०११ के दिन डे-बिज एश्योरेन्स प्रायवेट लिमिटेड कंपनी को खरीद लिया | कंपनी के क़ानूनी दस्तावेज पर हस्ताक्षर करते करते ही अर्पण ने उस निर्देशक को कहा भी कि ‘ यह करा है जीवन में”|
अर्पण ने फॉरेन ट्रेड में एमबीए किया,तथा पत्रकारिता के शौक के चलते एम.जे. की पढाई भी की है | समाचारों की दुनिया ही उनकी असली दुनिया थी, जिसके लिए उन्होंने सॉफ्टवेयर के व्यापार के साथ ही खबर हलचल वेब मीडिया की स्थापना की और इसे भारत की सबसे तेज वेब चेनल कंपनियों में से एक बना दिया। साथ ही ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनोतियाँ’ पर ही अर्पण ने अपना शोध कार्य किया है अर्पण ने देश के कुछ दिग्गज संपादकों के साथ भी लंबे वक़्त तक चलने वाली, कामयाब साझेदारी की।
वेब व्यवसायी के साथ साथ पत्रकारिता जगत में अपने पोर्टल एवं अख़बार ‘खबर हलचल न्यूज‘ के माध्यम से पत्रकार और सम्पादक के रूप में पत्रकारिता जगत में अपनी विशिष्ट छवि बनाई। इस कंपनी की पहचान इन्होंने अनुशंसनीय मूल्यों के आधार पर बनाई जिसकी औद्योगिक जगत में बहुत सराहना हुई। सेंस टेक्नॉलजीस और खबर हलचल न्यूज भारत के लगभग 29 राज्यों में 180 से ज़्यादा लोगो की टीम के साथ कार्यरत पंजीकृत कंपनी है। अर्पण जैन ‘अविचल’ ने अपने कविताओं के माध्यम से समाज में स्त्री की पीड़ा, परिवेश का साहस और व्यवस्थाओं के खिलाफ तंज़ को बखूबी उकेरा हैं और आलेखों में ज़्यादातर पत्रकारिता के आधार आंचलिक पत्रकारिता को ज़्यादा लिखा हैं |
अर्पण ने व्यापार के दूसरे क्षेत्रों में भी उत्कृष्ट सफलताएँ प्राप्त की हैं। पत्रकारिता से अपने गहरे सरोकार को दर्शाते हुए उन्होंने भारत के पत्रकारों के लिए पहली सोशल नेटवर्किंग साइट ‘इंडियन रिपोर्टर्स (www.IndianReporters.com)’ बनाई, जिसके फलस्वरूप पंजाब, उत्तराखंड और सिक्किम जैसे भारत के सभी राज्यों के पत्रकार जुड़े हुए हैं| जैन कई कंपनियों के बोर्ड के सक्रिय सदस्य भी हैं। जैन ने कई संस्थाओं के साथ जुड़ कर पत्रकारिता के क्षेत्र में भी और अन्य सामाजिक कार्यों और जनहितार्थ आंदोलनों में भी सक्रिय भूमिका निभाई है|
अर्पण जैन सोशल मीडिया और ऐप्स पर काफी सक्रिय रहते हैं और इन प्लेटफॉर्म्स पर तैरती खबरों के साथ-साथ विचारों पर भी अपनी पैनी निगाह रखते हैं। भारत के हर राज्यों में अर्पण की टीम है और इसमें पत्रकार के साथ-साथ, सामाजिक कार्यकर्ता, विद्ध्यार्थी आदि शामिल हैं |
अब जबकि ऑडियंस धीरे-धीरे टीवी से हटकर डिजिटल मीडिया की तरफ रुख कर रही है, अर्पण ने भी डिजिटल मीडिया में कुछ बड़ा करने की ठानी है। अर्पण ने ‘मेरे आंचलिक पत्रकार’ नाम से एक किताब भी लिखी है। जैन उदार और मानवतावादी व्यक्ति हैं जो कंपनी की लोकहितकारी गतिविधियों में भी रूचि रखते हैं। इन गतिविधियों के अंतर्गत एक चैरिटेबल ट्रस्ट भी चलाया जा रहा है जिसमें 10000 से ज़्यादा लोग जुड़कर मानव सेवा के मिशन में जुड़े है| अर्पण जैन को लिखने-पढ़ने का जज़्बा और शौक़ है। उन्हें हिन्दी साहित्य और उर्दू शायरी से गहरा लगाव है और उनके हिन्दी भाषा के विस्तार और व्यवहार के दायरे को फैलाने उद्देश्य से ‘मातृभाषा.कॉम’ और उर्दू के विकास के लिए ‘उर्दूभाषा.कॉम’ भी शुरू की है। उन्हें संगीत से भी गहरा प्रेम है।
‘वेब पत्रकारिता‘ की गहरी समझ रखने वाले अर्पण ने अपने प्रोद्धोयोगिकि और वेब पत्रकारिता के अनुभव को सांझा करते हुए लोगों में ‘मीडियाप्रेन्योर’ बनने के प्रति जागरूकता फैलाते हुए वेब मीडिया’ का कार्य भी करवा रहे है | उनकी कंपनी सेंस टेक्नॉलजीस वर्तमान में 100 से अधिक मीडिया व्यवसायीओ की टीम तैयार कर चुकी है | पत्रकारिता में न्यू मीडिया के बड़ते प्रभाव को व्यवसाय के रूप में स्थापित करने के पीछे जैन का मकसद है क़ि ” यदि पत्रकार के पास आय का उपयुक्त स्त्रोत उपलब्ध रहेगा, और घर–परिवार के पालन–पोषण में उसी स्त्रोत से पूर्ति होती रहेगी तो निश्चित तौर पर पत्रकार कभी ‘पीत पत्रकारिता‘ की और झाकेंगा भी नहीं, और इससे पत्रकारिता में शुचिता आएगी “
वह फिलहाल अपनी दूसरी किताब पर काम कर रहे हैं, जो भारत में ‘वेब पत्रकारिता कैसे करना है’ इस के बारे में होगी। इस युवा उद्यमी के पास युवाओं के लिए सिर्फ एक सलाह है कि मेहनत का कोई अन्य विकल्प नहीं होता, केवल भाग्य के भरोसे या शार्टकट से कोई सफलता नहीं मिलती|